MAHALAXMI, HATHI POOJA, GAJLAXMI POOJA KI VRAT VIDHI, KATHA- महालक्ष्मी पूजा, गज लक्ष्मी पूजा, हाथी पूजा व्रत विधि, कथा एवं तारीख

MAHALAXMI VRAT, HATHI POOJA, GAJLAXMI POOJA 2022-
मां को कई रूपों में पूजा जाता है। महालक्ष्मी व्रत में माता लक्ष्मी की उपासना की जाती है। ऐसी मान्यता है कि जो भक्त सच्चे मन से ये व्रत रख माता की विधि विधान पूजा कर उनकी व्रत कथा को सुनता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। वहीं मां महालक्ष्मी की पूजा साल में एक बार की जाती है। इस पूजन का विशेष बखान शास्त्रों में भी किया गया है। इसे गजलक्ष्मी व्रत भी कहा जाता है। जिसे प्रतिवर्ष आश्विन कृष्ण अष्टमी को विधिवत किया जाता है।' इस व्रत की कथा का पाठ करने से हर मनोकामना पूरी हो जाती है। 

MAHALAXMI VRAT, HATHI POOJA, GAJLAXMI POOJA 2022 KI DATE, महालक्ष्मी पूजा, गज लक्ष्मी पूजा, हाथी पूजा व्रत की तिथि एवं तारीख


इस बार महालक्ष्मी व्रत हिंदू पंचांग के अनुसार आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 17 सितंबर को दोपहर 02.14 मिनट से शुरू होकर अगले दिन दोपहर 04.33 बजे तक रहेगी। यह व्रत 16 दिन तक आश्विन कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि तक चलता है। शास्त्रों की मानें तो यह बहुत महत्वपूर्ण व्रत है। इस व्रत को रखने से मां लक्ष्मी सभी मनोकामनाएं पूरी कर देती हैं और जीवन में हर प्रकार की समस्याओं का अंत होता है। अगर किसी कारणवश व्रत न रख पाएं तो कम दिन भी इस व्रत को रख सकते हैं इस व्रत में अन्न ग्रहण नहीं किया जाता और 16वें दिन पूजा कर इस व्रत का उद्यापन किया जाता है।

मान्यता है कि इस दिन खरीदा सोना आठ गुना बढ़ता है। इस दिन हाथी पर सवार मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाती है। श्राद्ध पक्ष चल रहे हैं। इस समय में शुभ कार्य वर्जित होते हैं। लोग नई वस्तुएं, नए परिधान नहीं खरीदते और ना ही पहनते हैं पर इस पक्ष में आने वाली अष्‍टमी तिथि को बेहद शुभ माना जाता है।

MAHALAXMI VRAT POOJA, HATHI POOJA, GAJLAXMI POOJA VIDHI- महालक्ष्मी पूजा, गज लक्ष्मी पूजा, हाथी पूजा व्रत विधि

गजलक्ष्‍मी व्रत का पूजन शाम के समय किया जाता है। शाम के समय स्नान कर पूजास्‍थान पर लाल कपड़ा बिछाएं. केसर मिले चन्दन से अष्टदल बनाकर उस पर चावल रखें। फिर जल से भरा कलश रखें। अब कलश के पास हल्दी से कमल बनाएं. इस पर माता लक्ष्मी की मूर्ति रखें। मिट्टी का हाथी बाजार से लाकर या घर में बनाकर उसे स्वर्णाभूषणों से सजाएं। अगर संभव हो तो इस दिन नया सोना खरीदकर उसे हाथी पर चढ़ाएं। अपनी श्रद्धानुसार सोने या चांदी का हाथी भी ला सकते हैं। इस दिन चांदी के हाथी का ज्यादा महत्व माना गया है। इसलिए अगर संभव हो तो पूजा स्थान पर चांदी के हाथी का प्रयोग करें। इस दौरान माता लक्ष्मी की मूर्ति के सामने श्रीयंत्र भी रखें। कमल के फूल से मां का पूजन करें।

सोने-चांदी के सिक्के, मिठाई, फल भी रखें। मां लक्ष्‍मी के इन नामों का जाप करें।

– ॐ आद्यलक्ष्म्यै नम:
– ॐ विद्यालक्ष्म्यै नम:
– ॐ सौभाग्यलक्ष्म्यै नम:
– ॐ अमृतलक्ष्म्यै नम:
– ॐ कामलक्ष्म्यै नम:
– ॐ सत्यलक्ष्म्यै नम:
– ॐ भोगलक्ष्म्यै नम:
– ॐ योगलक्ष्म्यै नम:

आखिर में घी के दीपक से पूजा कर कथा सुनें, माता लक्ष्मी की आरती करें और उन्हें भोग लगाएं।

महालक्ष्मी व्रत कथा, गजलक्ष्मी व्रत कथा, हाथी पूजन व्रत कथा- Mahalaxmi Vrat Katha, Gajalakshmi Vrat Katha, Hathi Poojan Vrat Katha in Hindi

अलग-अलग ग्रंथो में महालक्ष्मी व्रत की अलग-अलग कथाओं का वर्णन मिलता है जिसमें से दो कथा सबसे ज्यादा प्रचलित हैं। जो इस प्रकार है…

प्राचीन समय की बात है, कि एक बार एक गांव में एक गरीब ब्राह्मण रहता था। वह ब्राह्मण नियमित रुप से श्री विष्णु का पूजन किया करता था। उसकी पूजा-भक्ति से प्रसन्न होकर उसे भगवान श्री विष्णु ने दर्शन दिये़. और ब्राह्मण से अपनी मनोकामना मांगने के लिये कहा, ब्राह्मण ने लक्ष्मी जी का निवास अपने घर में होने की इच्छा जाहिर की। यह सुनकर श्री विष्णु जी ने लक्ष्मी जी की प्राप्ति का मार्ग ब्राह्मण को बता दिया, मंदिर के सामने एक स्त्री आती है, जो यहां आकर उपले थापती है, तुम उसे अपने घर आने का आमंत्रण देना। वह स्त्री ही देवी लक्ष्मी है।

शुभ मुहूर्त और महत्व देवी लक्ष्मी जी के तुम्हारे घर आने के बाद तुम्हारा घर धन और धान्य से भर जायेगा। यह कहकर श्री विष्णु जी चले गये। अगले दिन वह सुबह चार बजे ही वह मंदिर के सामने बैठ गया। लक्ष्मी जी उपले थापने के लिये आईं, तो ब्राह्मण ने उनसे अपने घर आने का निवेदन किया। ब्राह्मण की बात सुनकर लक्ष्मी जी समझ गई, कि यह सब विष्णु जी के कहने से हुआ है. लक्ष्मी जी ने ब्राह्मण से कहा की तुम महालक्ष्मी व्रत करो, 16 दिनों तक व्रत करने और सोलहवें दिन रात्रि को चन्द्रमा को अर्ध्य देने से तुम्हारा मनोरथ पूरा होगा। ब्राह्मण ने देवी के कहे अनुसार व्रत और पूजन किया और देवी को उत्तर दिशा की ओर मुंह् करके पुकारा, लक्ष्मी जी ने अपना वचन पूरा किया। उस दिन से यह व्रत इस दिन, उपरोक्त विधि से पूरी श्रद्वा से किया जाता है।

महालक्ष्मी हाथी पूजा की दूसरी कथा

एक बार महालक्ष्मी का त्यौहार आया। हस्तिनापुर में गांधारी ने नगर की सभी स्त्रियों को पूजा का निमंत्रण दिया परन्तु कुन्ती से नहीं कहा। गांधारी के 100 पुत्रो ने बहुत सी मिट्टी लाकर एक हाथी बनाया और उसे खूब सजाकर महल में बीचो बीच स्थापित किया। सभी स्त्रियां पूजा के थाल ले लेकर गांधारी के महल में जाने लगी। इस पर कुन्ती बड़ी उदास हो गईं। जब पांडवो ने कारण पूछा तो उन्होंने बता दिया कि मै किसकी पूजा करू ? अर्जुन ने कहा माँ ! तुम पूजा की तैयारी करो ,मैं तुम्हारे लिए जीवित हाथी लाता हूँ अर्जुन इन्द्र के यहाँ गया। अपनी माता के पूजन हेतु वह ऐरावत को ले आया। माता ने सप्रेम पूजन किया। सभी ने सुना कि कुन्ती के यहाँ तो स्वयं इंद्र का एरावत हाथी आया है तो सभी कुन्ती के महलों कि ओर दौड पड़ी और सभी ने पूजन किया।

हाथी पूजा कब है 2022, हाथी पूजन कैसे करें, हाथी पूजा कब की जाती है, हाथी की पूजा क्यों करते हैं, 2022 में महालक्ष्मी कब है, महालक्ष्मी हाथी की पूजा कब है, महालक्ष्मी को कैसे प्रसन्न करें, लक्ष्मी पूजा के लिए कौन सा दिन सबसे अच्छा है,- when is elephant puja 2022, how to do elephant puja, when elephant is worshiped, why elephants are worshiped, when is mahalaxmi in 2022, mahalaxmi elephant worship, how to please mahalakshmi, which one for lakshmi puja the best day,

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !