जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने जबलपुर नगर निगम कमिश्नर पर ₹50000 की कॉस्ट लगा दी है। उनके खिलाफ हाई कोर्ट की अवमानना का प्रकरण प्रचलन में आ गया था। कार्रवाई से बचने के लिए उन्होंने रिव्यू पिटिशन फाइल कर दिया। इस बात पर हाई कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त की और ₹50000 की कॉस्ट लगा दी।
दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी अवधेश बाजपेई की ओर से दायर की गई याचिका में कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता सहायक राजस्व निरीक्षक के पद पर दैनिक वेतनभोगी के रूप में पदस्थ था। लेबर कोर्ट ने 15 जुलाई 2003 से नियमितीकरण का लाभ देने के लिए निर्देश भी दिए थे, लेकिन नगर निगम ने लेबर कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया। इसलिए हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी।
हाईकोर्ट ने 26 जून 2016 को लेबर कोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए 30 दिन के भीतर दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी को सभी लाभ देने के आदेश दिए थे। नगर निगम कमिश्नर ने हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया जिसके चलते अवमानना की याचिका दाखिल की गई थी। जब अवमानना की याचिका स्वीकार कर ली गई और प्रकरण प्रचलन में आ गया तब हाई कोर्ट कमिश्नर द्वारा रिव्यू पिटिशन फाइल कर दिया गया।
जस्टिस नंदिता दुबे की एकल पीठ ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा है कि जब उनके खिलाफ अवमानना प्रकरण चलने लगा तो उन्होंने रिव्यू याचिका दायर कर दी। रिव्यू 6 साल बाद दायर की गई जो नियम के खिलाफ है, लिहाजा नगर निगम आयुक्त पर 50 हजार रुपए की कास्ट लगाई जाती है। हाईकोर्ट ने यह भी कहा है कि यह राशि 30 दिन के भीतर आर्मी सेंटर वेलफेयर फंड में जमा करा दी जाए।