मध्यप्रदेश में 'जय-जय कमलनाथ' नारा लगाने वाले पहले नेता नरेंद्र सलूजा सोशल मीडिया पर कमलनाथ की टीम के सबसे धांसू योद्धा की तरह परफॉर्म कर रहे थे परंतु इन दिनों ग्वालियर पुलिस के चक्रव्यूह में उलझ गए हैं। क्राइम ब्रांच ने उन्हें मोबाइल सहित बुलाया था। नरेंद्र सलूजा ने व्यक्तिगत कारणों का हवाला देकर 7 दिन का समय ले लिया है।
भोपाल के कांग्रेस नेता नरेंद्र सलूजा को ग्वालियर पुलिस ने क्यों बुलाया
नरेंद्र सलूजा ने एक ऑडियो वायरल किया था। दावा किया था कि ग्वालियर नगर निगम के चुनाव में टिकट बेचने के लिए भारतीय जनता पार्टी के नेताओं का रैकेट सक्रिय है। थोड़ी देर बाद उन्होंने वह ऑडियो हटा दिया। इसी मामले में भाजपा नेताओं ने उनके खिलाफ पुलिस में कंप्लेंट फाइल की है। इन्वेस्टिगेशन पूरी करने के लिए क्राइम ब्रांच ने उन्हें ग्वालियर बुलाया था। स्वाभाविक रूप से इस बात की पूरी संभावना है कि पुलिस उनका मोबाइल जप्त कर लेगी। यदि वह अपना मोबाइल नष्ट कर देते हैं तो उनके खिलाफ नया मामला दर्ज हो जाएगा और उनकी गिरफ्तारी भी हो सकती है।
नरेंद्र सलूजा सोशल मीडिया पर दिन भर में 20-25 धमाके तो करते ही थे लेकिन जब से नोटिस मिला है उनके ट्विटर हैंडल पर जैसे धारा 144 लग गई है। दिवस विशेष की शुभकामनाएं और श्रद्धांजलि के पुष्प दिखाई दे रहे हैं। पूरा ध्यान रखा जा रहा है कि कहीं किसी शब्द से किसी को कांटा ना लग जाए।
सोशल मीडिया की सेना को कैसे बचाएंगे कमलनाथ
इस घटनाक्रम के साथ एक बड़ा सवाल उपस्थित हो गया है। कमलनाथ की सोशल मीडिया में हजारों युवा काम कर रहे हैं। कमलनाथ की प्रेरणा से वह हर रोज सरकार की निंदा करते हैं। भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ पोल खोल अभियान चलाते हैं। स्वाभाविक है इस पूरी प्रक्रिया में कई बार गलती भी हो जाती है। जैसे नरेंद्र सलूजा से हो गई थी। सवाल यह है कि यदि कोई गलती हो जाए और कानूनी कार्रवाई शुरू हो गई कमलनाथ उस कार्यकर्ता को कैसे बचाएंगे। नरेंद्र सलूजा तो प्रभावशाली हैं, ग्वालियर पुलिस ने उन्हें समय भी दे दिया। जमीनी कार्यकर्ताओं को पुलिस से इतनी राहत थोड़ी ना मिलेगी।