ग्वालियर। विधानसभा चुनाव 2018 में कांग्रेस पार्टी को ज्योतिरादित्य सिंधिया के कारण ग्वालियर चंबल क्षेत्र से अच्छी बढ़त मिली थी। इस क्षेत्र में सिंधिया कांग्रेस का चेहरा थे परंतु अब सिंधिया कांग्रेस में नहीं है। लंबे समय से यह प्रश्न उपस्थित था कि कांग्रेस पार्टी में सिंधिया का विकल्प कौन होगा परंतु पार्टी के सूत्रों का कहना है कि कमलनाथ ने सिंधिया के विकल्प की तलाश बंद कर दी है। वह अपनी रणनीति पर काम कर रहे हैं।
ग्वालियर चंबल क्षेत्र में 2018 में भले ही ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस पार्टी का चेहरा रहे हो परंतु इस पूरे इलाके में दिग्विजय सिंह का नेटवर्क भी कमजोर नहीं है। उनके बेटे जयवर्धन सिंह, भाई लक्ष्मण सिंह, मित्र डॉक्टर गोविंद सिंह (जिन्हें उन्होंने नेता प्रतिपक्ष बनवा दिया है), अशोक सिंह और सतीश सिकरवार की तरह कई नेताओं को मजबूत किया जा रहा है। कमलनाथ की रणनीति है कि मध्य प्रदेश के किसी भी क्षेत्र में अब कोई एक चेहरा नहीं होना चाहिए।
कांग्रेस में जिलाध्यक्ष और प्रभारी के बाद संगठन मंत्री
2018 का चुनाव जीतने के लिए कमलनाथ, भारतीय जनता पार्टी की रणनीति को कॉपी कर रहे हैं। भाजपा ने पन्ना प्रभारी बनाए थे। कांग्रेस भी बना रही है। संगठन को मजबूत करने के लिए भाजपा ने जिला संगठन मंत्री बनाए थे, कांग्रेस पार्टी भी हर जिले में एक संगठन मंत्री नियुक्त करने जा रही है। संगठन मंत्री डायरेक्ट कमलनाथ को रिपोर्ट करेगा। हर जिले में एक टीम कांग्रेस के नेताओं की गतिविधियों पर नजर रखेगी और भोपाल रिपोर्ट करेगी।
भाजपा के बागियों को टिकट नहीं देंगे
इस बार तय किया गया है कि भारतीय जनता पार्टी से बगावत करके कांग्रेस में शामिल होने वाले नेताओं को टिकट नहीं दिया जाएगा बल्कि उन्हें आश्वासन दिया जाएगा कि यदि वह सरकार बनाने में मदद करते हैं तो उन्हें सरकार बनने के बाद एडजस्ट किया जाएगा। यानी कि मध्य प्रदेश के सभी निगम मंडल भाजपा के बागियों को मिलेंगे।