ग्वालियर। महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला परियोजना अधिकारी अब्दुल गफ्फार की ओवरस्मार्टनेस भारी पड़ गई। हाई कोर्ट ने उन पर जुर्माना लगाया था। उन्होंने जुर्माना माफी का आवेदन लगा दिया। हाईकोर्ट ने जुर्माना माफ करने के बजाए ₹10000 और बढ़ा दिया।
मामला भिंड जिले में एक महिला कर्मचारी सुधा जादौन का है। सुधा मध्य प्रदेश स्वास्थ्य विभाग में ANM के पद पर पदस्थ थीं। महिला एवं बाल विकास विभाग को उनकी सेवाओं की जरूरत पड़ी तो उन्हें प्रतिनियुक्ति पर बुला लिया गया। 31 मार्च 2020 को सुधा रिटायर हो गई। रिटायरमेंट के समय सुधा महिला एवं बाल विकास विभाग में सेवाएं दे रही थीं। डिपार्टमेंट में उनके मूल विभाग में नहीं भेजा था।
जब पेंशन देने की बारी आई तो महिला एवं बाल विकास विभाग मुकर गया। मामला हाईकोर्ट में आ गया। परियोजना अधिकारी ने हाईकोर्ट को बताया कि सुधा जादौन स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी हैं, इसलिए उनकी पेंशन देने की जिम्मेदारी भी स्वास्थ्य विभाग की ही होगी।
सुनवाई की प्रक्रिया के दौरान हाईकोर्ट ने भिंड के परियोजना अधिकारी अब्दुल गफ्फार ने समय मांगा। हाईकोर्ट ने ₹25000 राशि जमा कराने की शर्त रखी। प्रोजेक्ट ऑफिसर ने इसे माफ करने के लिए आवेदन लगा दिया। हाईकोर्ट ने आवेदन को खारिज करते हुए राशि माफ करने के बजाय ₹10000 बढ़ा दी। अब अब्दुल गफ्फार साहब को दिनांक 18 जुलाई तक ₹35000 जमा कराने हैं।