जानिए किस कानून के तहत कैदी के बयान जेल के अंदर भी दर्ज किए जा सकते हैं- CrPC 271

कभी-कभी ऐसा होता है जब किसी कैदी को न्यायालय में प्रस्तुत नहीं किया जा पाता परंतु इसका तात्पर्य यह नहीं होता कि कोर्ट में कोई कार्यवाही नहीं होगी और केस की तारीख बढ़ जाएगी। सीआरपीसी में एक प्रावधान ऐसा भी है जिसके तहत कैदी के बयान जेल के अंदर भी दर्ज किए जा सकते हैं।

दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 271 की परिभाषा:-

राज्य सरकार द्वारा या अन्य किसी परिस्थितियों में जेल के भारसाधक अधिकारी द्वारा किसी जेल में बंद व्यक्ति को न्यायालय नहीं ले जा सकता है तब न्यायालय संहिता की धारा 271 के अनुसार ऐसे बंदी व्यक्ति की परीक्षा के लिए एक आयोग या कमिश्नर नियुक्त करेगा एवं यह कमीशन (कमिश्नर) बंदी व्यक्ति की कारागार में जाकर परीक्षा लेगा एवं यह ऐसी मानी जाएगी जैसे की परीक्षा न्यायालय में ली जा रही हो।

साधारण शब्दों में अगर कहे तो न्यायालय इस धारा के अंतर्गत उन बंदी आरोपियों की परीक्षा जेल में लेता है जो न्यायालय के समक्ष किसी कारण न्यायालय में उपस्थित नहीं हो पाते हैं एवं जिनकी परीक्षा करवाना अति आवश्यक हो। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665

इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com

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