गांधीजी भी कंफ्यूज होंगे, MPPSC वालों ने गद्यांश में मेरा जिक्र क्यों किया- Khula Khat

Bhopal Samachar
मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग के महान विद्वान पता नहीं कहां से करते हैं अनुसंधान, एक भी पेपर बिना विवाद के संपन्न नहीं होता। अभी एक सनकी विद्वान द्वारा कश्मीर पर पूछे गए सवाल का विवाद खत्म नहीं हुआ था कि एक और तमाशा सामने आ गया। यह गांधीजी को लेकर है। एक गद्यांश इसमें महात्मा गांधी के नाम को कुछ इस तरीके से जोड़ा गया है कि गांधीजी भी कंफ्यूज होंगे, MPPSC वालों ने गद्यांश में मेरा जिक्र क्यों किया। 

पढ़िए MPPSC 2021 CSAT (PAPER 2) SET A का विवादित गद्यांश

लेखांश की शुरुआत भारत की सड़कों पर आवारा कुत्तों की समस्या से हुई। यह भी बताया कि भारत में 30 लाख आवारा कुत्ते सड़कों पर घूम रहे हैं और कोर्ट ने उन्हें मारने पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसके बाद लिखा है कि, 
एक मिल मालिक ने 60 आवारा कुत्तों को मार डाला परंतु बाद में पश्चाताप की अनुभूति कर गाँधीजी से भेंट की, जिन्होंने उसके इस कृत्य को अंततोगत्वा उचित प्रतिपादित किया। जिससे विवाद की स्थिति उत्पन्न हुई, 'अहिंसा' की प्रतिमूर्ति ने स्वयं इस हिंसा को उचित ठहराया था। सभी प्रकार के जीवित प्राणियों का संरक्षण एवं सम्मान किया जाना चाहिए और उन पर किसी भी प्रकार की हिंसा कि चेष्टा न कि जाकर ही वास्तव में अहिंसा की अवधारणा की नींव का निर्माण करती है। गाँधीजी के द्वारा मिल मालिक के इस हिंसक कृत्य को अहिंसा की वास्तविक व्याख्या के परिप्रेक्ष्य में समझा जा सकता है। उन्होंने सोचा कि उनके इस कार्य से कुत्तों को घोर उपेक्षा की क्रूर स्थिति से गुजरने से भी रोका।
56. निम्न में से कौन- -सा कथन उपर्युक्त अंश से अनुमानित किया जा सकता है ?
(A) आवारा कुत्तों को अंधाधुंध मारा जाना चाहिए 
(B) सभी आवारा कुत्तों को जान से मारना अवैध है 
(C) हत्या करना कुत्ते की आबादी को सीमित करने के लिए एकमात्र राहत है 
(D) पागल कुत्तों को मारने की अनुमति दी जा सकती है

यह स्क्रीनशॉट पूरे देश में वायरल हो रहा है और लोग सोशल मीडिया पर अपना सिरखुजा जा रहे हैं। आवारा कुत्तों की समस्या बताई, सही किया। न्यायालय का निर्णय बताया, सही किया। समस्या का क्या समाधान होना चाहिए यह पूछा, सही पूछा। लेकिन महात्मा गांधी के प्रसंग का जिक्र करने की क्या जरूरत थी। उम्मीदवार कन्फ्यूजन, समझ नहीं पा रहे हैं कि सही उत्तर क्या होगा। और शायद महात्मा गांधी भी कंफ्यूज है, समझ नहीं पा रहे होंगे कि इस प्रश्न में मेरा जिक्र क्यों किया गया। लेखक शैलबाला शर्मा, एक अभ्यर्थी। 

अस्वीकरण: खुला-खत एक ओपन प्लेटफार्म है। यहां मध्य प्रदेश के सभी जागरूक नागरिक सरकारी नीतियों की समीक्षा करते हैं। सुझाव देते हैं एवं समस्याओं की जानकारी देते हैं। पत्र लेखक के विचार उसके निजी होते हैं। इससे पूर्व प्रकाशित हुए खुले खत पढ़ने के लिए कृपया Khula Khat पर क्लिक करें. यदि आपके पास भी है कुछ ऐसा जो मध्य प्रदेश के हित में हो, तो कृपया लिख भेजिए हमारा ई-पता है:- editorbhopalsamachar@gmail.com
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