भारतीय दण्ड संहिता, 1860 का अध्याय 5 में धारा 107 से लगातार 120 तक दुष्प्रेरण से सम्बंधित अपराध, दण्ड प्रावधान आदि के बारे में बताया गया है। जब कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को किसी अपराध करने के लिए उकसाता हैं और अन्य व्यक्ति उकसावे में आकर कोई अपराध कर देता है तब वह दुष्प्रेरण का अपराध होगा। लेकिन यदि कोई व्यक्ति 18 वर्ष से कम आयु के लड़के या लड़की को किसी अपराध के लिए दुष्प्रेरित करता है तो उपरोक्त के अलावा एक और धारा जोड़ी जाएगी, जानिए।
किशोर न्याय (बालकों की देख-रेख एवं संरक्षण) अधिनियम, 2015 की धारा 87 की परिभाषा
यदि कोई नागरिक (महिला अथवा पुरुष) 18 वर्ष से कम आयु के किसी लड़का या लड़की को किसी भी प्रकार के अपराध के लिए, नियम तोड़ने के लिए उकसाता है, तो ऐसा व्यक्ति (महिला अथवा पुरुष) जुवेनाइल जस्टिस एक्ट 2015 की धारा 87 के अंतर्गत अपराधी घोषित किया जाएगा एवं दंडित किया जाएगा।
जुवेनाइल जस्टिस एक्ट धारा 87 दण्ड का प्रावधान
यह अपराध संज्ञेय एवं जमानतीय/अजमानतीय दोनों प्रकार के होंगे इनकी सुनवाई प्रथम वर्ग के न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा होगी। सजा - बालको की उकसाने वाले व्यक्ति के खिलाफ निम्न प्रकार के दण्ड का प्रावधान होगा:-
1. अगर किसी बालक की चोरी करने के लिए उकसाया जाता है और वह चोरी कर लेता है तब उकसाने वाले व्यक्ति को चोरी के अपराध से दण्डित किया जाएगा।
2. अगर किसी बालक को नशीली दवाओं या शराब के विक्रय के लिए उकसाया जाता है तब उकसाने वाले व्यक्ति को किशोर न्याय अधिनियम,2015 की धारा 77 के अनुसार सात वर्ष के कारावास एवं एक लाख रुपये से दण्डित किया जायेगा।
साधारण शब्दों में अगर हम कहे तो बालक को किसी अपराध करने के लिए उकसाया गया है और वह उस अपराध को कर देता है तब उकसाने वाले व्यक्ति को उसी अपराध के दण्ड से दण्डित किया जायेगा, जो बालक के द्वारा किया गया है। दूसरी भाषा में कहें तो अवयस्क बच्चा जो भी अपराध करेगा उसका दंड उसे दुष्प्रेरित करने वाले को दिया जाएगा। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
:- लेखक बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665