जो गरजते हैं वो बरसते नहीं, मुहावरा क्यों बनाया गया, यहां पढ़िए- GK in Hindi

Bhopal Samachar
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जो गरजते हैं वह बरसते नहीं, यह मुहावरा तो आपने भी सुना होगा। इसका अर्थ भी पता होगा लेकिन क्या आप यह बता सकते हैं कि बादलों के बारे में यह मुहावरा क्यों बनाया गया। आइए आज इसका कारण बताते हैं। 

मौसम विज्ञान के विशेषज्ञ बताते हैं कि पृथ्वी पर हर रोज 44,000 से ज्यादा बादल गरजते हैं लेकिन उनमें से औसत 1800 बादल ही बरसते हैं। यानी कि जितने बादल गरजते हैं उनमें से मात्र 4% बादल ही बरसते हैं। इसलिए मुहावरा बनाया गया कि जो गरजते हैं वह बरसते नहीं। आइए बादलों के बारे में कुछ और रोचक एवं मजेदार जानकारियां पढ़ते हैं। 

बादलों के बारे में रोचक एवं मजेदार जानकारियां

  • बर्फ के छोटे-छोटे कणों के बड़े संगठन को बादल कहते हैं। 
  • आसमान में बादल जमीन से 16500 फीट की ऊंचाई तक पाए जाते हैं। 
  • जिन बादलों से वर्षा होती है वह जमीन से औसत 6500 फीट की ऊंचाई पर होते हैं। 
  • हवाई जहाज की खिड़की से जो बादल दिखाई देते हैं उन्हें कपासी बादल कहा जाता है। 
  • बादलों में हजारों टन पानी होता है लेकिन वह हवा में लटके रहते हैं क्योंकि बादल एक वाष्प के रूप में होते हैं। ठोस नहीं होते। 
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