MP NEWS - दुष्कर्मी पुलिसवाला बोला - कई लड़कियों को मारकर फेंका, तुम्हारा भी वही हाल करूंगा

छिंदवाड़ा।
 मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने सरकार से ADG उमेश जोगा, छिंदवाड़ा SP विवेक अग्रवाल और सिविल सर्जन शिखर सुराना को हटाने के लिए कहा है। कोर्ट का मानना है कि चूंकि आरोपी पुलिसकर्मी है, इसलिए इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि अफसर उसे बचाने की कोशिश कर रहे हों। दरअसल, जिस लड़की के साथ दरिंदगी हुई है, उसे इंसाफ दिलाने की राह में प्रशासन ने कदम-कदम पर मुश्किलें बिछा दीं। पुलिस अफसरों ने लड़की की आवाज दबाने के लिए हर मुमकिन कोशिश की

लड़की ने बताया पुलिस वाले का वहशीपन

हम 3 बहनें हैं। पापा हैं नहीं। मां ही परवरिश करती है। बड़ी बहन की शादी हो गई। मैं दूसरे नंबर की हूं। सोचा था पढ़-लिखकर नौकरी करूंगी। मां और परिवार के दुख-दर्द कम कर सकूंगी। इसी जुनून में BA पास कर रिश्तेदार का पता लेकर छिंदवाड़ा पहुंची। मैं पहली बार ही छिंदवाड़ा आई थी। छोटी-मोटी नौकरी करके आगे की पढ़ाई करना चाहती थी। सोचा था थोड़े पैसे मां और छोटी बहन को दे दूंगी तो परेशानी थोड़ी कम होगी। कॉलेज में एडमिशन भी हो गया। एक किराना दुकान पर 3 हजार रुपए महीने पर काम मिल गया।

पहले दिन रिश्तेदार ने कॉलेज तक पहुंचा दिया। लौटने का रास्ता भी बताया था, लेकिन मैं भटक गई। चौराहे पर खड़े पुलिसवाले से पता पूछा। बस यही मेरी जिंदगी की सबसे बड़ी भूल थी। उसने मेरा पीछा करना शुरू कर दिया। फोन पर परेशान करने लगा। मेरी मां तक पहुंच गया। मां से बोला- मैं आपकी ही जाति का हूं, आपकी बेटी से शादी करूंगा। मां मुझसे कहती- कभी-कभी बात कर लिया कर...।

मैं कॉलेज जाती तो रास्ते में आ धमकता। मना करने पर भी फोन करता। दिवाली से पहले मैं घर आने की तैयारी कर रही थी। मेरी सहेली गांव चली गई थी। मुझे किराना दुकान से तनख्वाह मिलने में एक-दो दिन का वक्त था तो मैं अकेली रुक गई। तब तक पुलिसवाले से थोड़ी पहचान हो चुकी थी।

मुझसे कहने लगा कि आज मेरे कमरे पर चलो, वहीं से तुम्हें बस स्टैंड छोड़ दूंगा। वैसे भी अब अपनी शादी होने वाली है। मैं उसके साथ ही उसके घर पहुंची। वो किसी काम से बाहर गया हुआ था, तभी मेरी नजर उसके आधारकार्ड और उसकी पत्नी के तलाक के दस्तावेजों पर पड़ी। उसका असली नाम अजय साहू था। उसने मेरी मां से झूठ बोला था कि वो हमारी जाति का है। वो लौटा तो उसके कपड़ों से शराब की बू आ रही थी। मैंने पूछा कि आपका नाम क्या है? बोला- मैं तुम्हें बता चुका हूं, तुम ऐसा क्यों पूछ रही हो। मैंने उससे कहा कि आपका असली नाम तो अजय साहू है। मैंने आपके सारे कागज देख लिए हैं।

इतना कहना था कि वो हैवान बन गया। उसने कमरा बंद कर मेरे कपड़े उतारकर शैतान की तरह मारपीट शुरू कर दी। मेरा सिर दीवार पर मारा। बाल पकड़कर घसीटने लगा। बोला- अच्छा हुआ तुम जान गई। फिर उसने जो किया, वो शब्दों में बयां नहीं कर सकती। वो दृश्य मेरी आंखों के सामने आते ही मैं बेसुध हो जाती हूं। मैं सोच नहीं सकती कि उस वर्दी के भीतर कैसा वहशी दरिंदा था।

उसने मुझसे कहा कि तुम नहीं, तुम्हारी जैसी कई लड़कियों के साथ मैंने ऐसा किया है। कई को मारकर फेंक दिया है। किसी का कुछ पता नहीं चला। तुम्हारा भी वही हाल करूंगा। गुस्से में उसने ये भी कहा कि मैंने अपनी पत्नी के शरीर का कोई अंग ऐसा नहीं छोड़ा, जहां सिगरेट न दागी हो। उसने मेरे साथ भी वैसा ही करने की कोशिश की, जैसा वह बोल रहा था। उसने भेड़ियों की तरह मेरे शरीर को नोंचा।

मैंने बाथरूम जाने का बहाना किया, लेकिन वो नहीं माना। बहुत गिड़गिड़ाने पर खुद मुझे बाथरूम तक लाया, लेकिन उसके शरीर में कपड़े नहीं थे। मौका देखकर मैं शोर मचाने लगी। उसने फिर मेरे बाल पकड़कर घसीटना शुरू कर दिया। मैंने चैनल गेट पकड़ लिया। कहा कि चाहे तुम मुझे मार डालो, लेकिन भीतर नहीं जाऊंगी। वो कपड़े नहीं पहना था, इसलिए गेट के बाहर नहीं आ पाया। इस बीच वहां की एक महिला बाहर आई तो वह कमरे में भाग गया।

मोहल्लेवालों की मदद से मैं अपने रिश्तेदार के यहां लौटी। मेरी चोट देखकर जिन्होंने भी पूछा तो मैंने कहा कि कुछ नहीं हुआ, लेकिन मेरी चुप्पी से वो और ज्यादा आक्रामक हो गया। मुझे फोन पर धमकाने लगा। कहने लगा कि तेरे कॉलेज में आकर तेरे कपड़े उतारूंगा। तेरे चेहरे पर तेजाब डालकर जला दूंगा। फिर मैं बिल्कुल टूट गई। मैंने सीधे पुलिस के पास पहुंचकर शिकायत की। तब से मैं किसी भी वर्दीवाले को देखती हूं तो सिहर जाती हूं। रोंगटे खड़े हो जाते हैं। हालांकि जो मैडम मेरे केस की जांच के लिए आईं, वो बड़ी बहन जैसी मिलीं। उन्होंने परिवार के सदस्य की तरह मदद की।

FIR के कुछ दिन बाद मुझे पता चला कि मैं प्रेग्नेंट हूं। फिर कोर्ट के आदेश पर गर्भपात कराया गया। हाईकोर्ट ने कहा कि पुलिस ने लापरवाही की, मैं तो ये नहीं कह सकती। हो सकता है कि उस दरिंदे के साथियों ने जानबूझकर साजिश की हो मुझे फोन आया था कि 8 लाख रुपए लेकर समझौता कर लो। मैंने भी सोच लिया है कि अब वो करोड़ रुपए क्यों न ऑफर करें, समझौता नहीं करूंगी। मैं चाहती हूं कि और लड़कियां ऐसे भेड़ियों के चंगुल में न फंसें। वो भेड़िया किसी और की जिंदगी बर्बाद न कर पाए।

मैंने छोटी बहन की शादी करवा दी है। मैं तो भीतर से टूट गई हूं। मैं शायद ही शादी का फैसला कर पाऊं। मेरी मां की जिम्मेदारी मेरे ऊपर है। मैं बहुत कोशिश करके फिर से कॉलेज जाना शुरू कर रही हूं। समझौते के लिए धमकियां मिलती हैं, लेकिन मैं टूटूंगी नहीं। मेरी जिंदगी का मकसद यही है कि वो मेरी तरह किसी और की जिंदगी से खिलवाड़ न कर पाए।

लड़की रेप के बाद प्रेग्नेंट हो गई थी। कोर्ट की अनुमति से उसका गर्भपात कराया गया। गर्भ के भ्रूण की जांच में डॉक्टर से लेकर पुलिस तक सबने लापरवाही बरती। भ्रूण की DNA जांच के लिए उसे स्लाइन वॉटर में प्रिजर्व करना था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। नतीजा जांच ही नहीं हो सकी। कोर्ट ने कहा कि ADG, SP और सिविल सर्जन की भूमिका संदिग्ध है। इनके आचरण की जांच के लिए केस CBI को सौंपा जाना था। सैंपल की जांच भी दोबारा नहीं हो सकती, इसलिए सभी संबंधित अफसरों को प्रदेश के दूर-दराज क्षेत्र में ट्रांसफर किया जाए, ताकि वे गवाहों को प्रभावित न कर सके। हाईकोर्ट ने ADG उमेश जोगा, छिंदवाड़ा SP विवेक अग्रवाल और सिविल सर्जन शिखर सुराना को हटाने के निर्देश दिए हैं। मध्य प्रदेश की महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया MP NEWS पर क्लिक करें.

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