भोपाल। मध्य प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार की बहू सविता परमार की संदिग्ध मृत्यु के मामले में कुछ इस प्रकार के इंतजाम किए गए थे कि कोई सवाल नहीं उठ पाए, लेकिन फिर भी सवाल उठ रहे हैं। लोग तो पुलिस की निष्पक्षता पर भी संदेह कर रहे हैं।
सविता परमार के पोस्टमार्टम से लेकर अंतिम संस्कार तक मौके पर मौजूद लोगों को मोबाइल फोन निकालने की अनुमति नहीं थी। किसी भी प्रकार का फोटो-वीडियो नहीं बनाया जा सका। सविता परमार को मुखाग्नि देने के लिए उसका पति नहीं आया। पति के चचेरे भाई ने सविता को मुखाग्नि दी। सविता के पिता जैसे ही व्याकुल हुए, उन्हें एक अलग कमरे में ले जाएगा। सविता के भाई ने FIR की मांग की तो लोगों से मारने के लिए दौड़े। धमकाया, और गाड़ी में बिठा कर वापस भेज दिया।
पोस्टमार्टम से लेकर अंतिम संस्कार तक शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार के समर्थक कुछ इस प्रकार से तैनात थे वह सिक्योरिटी एजेंसी के कर्मचारी हो। शिक्षा मंत्री ने बयान दिया है कि किसी भी प्रकार का विवाद नहीं था। उनके पास अपनी है लेकिन इन सवालों का जवाब नहीं है कि कार्यक्रम के दौरान आम नागरिकों की स्वतंत्रता को बाधित किया गया। सविता को मुखाग्नि देने उसका पति क्यों नहीं आया। सविता के पिता को अलग कमरे में बंद क्यों किया। सविता के भाई को धमका कर वापस क्यों भेजा। स्कूल शिक्षा मंत्री ने अपने समर्थकों को क्यों नहीं रोका।
यहां ध्यान देना जरूरी है कि सविता परमार कई दिनों से अपने मायके में थी। जिस दिन उसे ससुराल लाया गया उस के दूसरे दिन उसका शव फांसी पर लटका हुआ मिला। भोपाल की महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया bhopal news पर क्लिक करें।