जबलपुर। मध्यप्रदेश में उच्च न्यायलय में 1255 पदों पर की जा रही नियुक्तियां विचाराधीन याचिका के अंतिम निर्णय के अधीन कर दी गई हैं। साथ ही याचिकाकर्ताओं को दूसरे चरण की परीक्षा में शामिल होने संबधी राहत भी दे दी गई। प्रशासनिक न्यायाधीश शील नागू व न्यायमूर्ति मनिंदर सिंह भट्टी की युगलपीठ ने इस अंतरिम आदेश के साथ ही हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को नोटिस जारी कर जवाब-तलब कर लिया है।
याचिकाकर्ता ओबीसी वर्ग की आवेदक रूपम दसोन्दी की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि हाई कोर्ट द्वारा सहायक ग्रेड-थ्री व स्टेनो की भर्तियां निकाली हैं। इसके तहत आयोजित प्रारंभिक परीक्षा में शत-प्रतिशत कम्युनल आरक्षण लागू किया गया, जिसकी संवैधानिक वैधता चुनौती के योग्य है। ऐसा इसलिए भी क्योंकि 30 मार्च, 2022 को घोषित परिणाम के अनुसार ओबीसी वर्ग की याचिककार्ता 81 अंक हासिल कर भी चयन से बाहर हो गई जबकि 77 अंक पाने वाले सामान्य वर्ग के आवेदक चयनित हो गए।
हाई कोर्ट ने तीन गुने अभ्यर्थियों को दूसरे चरण की परीक्षा के लिए चयनित किया है। लेकिन वर्गवार कट आफ मार्क्स नहीं दिखाए हैं। 50 प्रतिशत कम्युनिल आरक्षण के हिसाब से अनारक्षित वर्ग में 1018 सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों को व ओबीसी को 14 प्रतिशत के हिसाब से 409 अभ्यर्थियों को चयनित किया गया है। अनारक्षित का कट आफ मार्क्स 79 व ओबीसी का कट आफ मार्क्स 82 निर्धारित किया गया है, जो कि अवैधानिक है। उच्च शिक्षा, सरकारी और प्राइवेट नौकरी एवं करियर से जुड़ी खबरों और अपडेट के लिए कृपया MP Career News पर क्लिक करें.