एक व्यक्ति जब न्यायालय में मजिस्ट्रेट के समक्ष कोई शिकायत प्रस्तुत करता है, तब उसे पीड़ित मानकर न्याय दिलाने के लिए पूरी प्रक्रिया शुरू की जाती है। आरोपी व्यक्ति को न्यायालय में तलब किया जाता है। सवाल यह है कि क्या प्रक्रिया शुरू हो जाने के बाद और फैसले से पहले बिना किसी की सहमति के परिवादी अपना परिवाद वापस ले सकता है। जानते हैं इनका जवाब।
दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 257 की परिभाषा:-
परिवादी किसी परिवाद संबंधित मामले में अंतिम आदेश से पहले आरोपी या आरोपियों के विरुद्ध मामले की शिकायत वापस लेने के लिए मजिस्ट्रेट से आज्ञा ले सकता है। मजिस्ट्रेट को अगर लगता है कि परिवादी की शिकायत वापस लेने का निर्णय सही है तब मजिस्ट्रेट बिना आरोपी की स्वीकृति के परिवादी की शिकायत (परिवाद) को खारिज कर देगा एवं आरोपी या आरोपियों को दोषमुक्त कर देगा।
सामान्य शब्दों में अगर हम बात करे तो यह धारा उन छोटी-मोटी शिकायत (परिवाद) पर लागू होती है जिसमे आरोपी को दण्डित करने का उचित आधार नहीं होता हैं। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
:- लेखक बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665
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