शासकीय सेवक यानी शासन का कर्मचारी और लोकसेवक यानी शासन से लाभ प्राप्त करने वाला जनप्रतिनिधि। सरपंच से लेकर सांसद तक सभी प्रकार के ऐसे पदाधिकारी जो जनता के द्वारा प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तरीके से चुने जाते हैं, सरकार का हिस्सा होते हैं, लोकसेवक कहलाते हैं। यदि शासकीय सेवक रिश्वत लेते पकड़ा जाए तो किस नियम के तहत कार्रवाई होती है हम सब जानते हैं परंतु यदि कोई लोकसेवक रिश्वत लेते हुए पकड़ा जाए तो किस कानून के तहत कार्रवाई होगी। आइए पढ़ते हैं:-
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम,1988 की धारा 7 की परिभाषा:-
अगर कोई व्यक्ति लोकसेवक होते हुए किसी व्यक्ति से किसी काम को करवाने के बदले में किसी भी प्रकार की रिश्वत लेता है या रिश्वत लेने की कोशिश करता है या स्वंय ना लेकर किसी रिश्तेदार, संबंधी, मित्र को दिलवाता हैं, तब ऐसा करने वाला लोकसेवक अधिनियम की धारा 7 के अंतर्गत दोषी होगा।
नोट:- रिश्वत से अभिप्राय:-कोई भी गिफ्ट, समान, पैसे, उपहार, चल-अचल किसी भी प्रकार की संपत्ति है।
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम,1988 की धारा 7 के अंतर्गत दण्ड का प्रावधान एवं कार्यवाही:-
इस धारा के अपराध संज्ञेय एवं अजमानतीय होंगे लोकसेवक के ऊपर अपराधिक मामलों की जाँच से पहले सरकार से मंजूरी लेने की अवश्य है, रिश्वत संबंधित मामलों में लोकपाल या लोक-आयुक्त की स्वीकृति से पुलिस अधिकारी द्वारा संज्ञान लिया जा सकता है। अगर किसी अन्य या विशेष विधि से सम्बंधित अपराध हैं तब न्यायालय की मंजूरी से पुलिस अधिकारी संज्ञान ले सकते हैं। इस अपराध की सुनवाई का अधिकार प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट को हैं सजा- इस अपराध में दोषसिद्ध पाए गए लोकसेवक को अधिकतम सात वर्ष की कारावास एवं जुर्माना से दण्डित किया जा सकता है।
उधानुसार:-ग्राम पंचायत का सरपंच, रामू का नाम गरीबी रेखा में जुड़वाने के लिए पाँच हजार रुपए लेता है। यहाँ पर ग्राम पंचायत का सरपंच रिश्वत के आरोप का दोषी होगा। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
:- लेखक बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665
इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com