Anganbadi karykarta versis Gujarat government case Supreme Court decision
नयी दिल्ली। भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि सभी आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका को ग्रेच्युटी भुगतान कानून, 1972 के तहत ग्रेच्युटी का अधिकार है।किस कानून के तहत आंगनवाड़ी कार्यकर्ता को सरकारी कर्मचारी का दर्जा मिला
सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति अभय एस ओका की पीठ के समक्ष गुजरात की आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं से संबंधित याचिका की सुनवाई हुई। दावा किया गया कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को 1972 के कानून की धारा 2(ई) के अनुसार शासकीय कर्मचारी नहीं माना जा सकता तथा ICDS परियोजना को उद्योग नहीं कहा जा सकता है। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून, 2013 के प्रावधानों और शिक्षा का अधिकार कानून की धारा 11 के कारण आंगनवाड़ी केंद्र भी वैधानिक कर्तव्यों का पालन करते हैं।
आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका के पद वैधानिक हैं या अवैधानिक
न्यायमूर्ति ओका ने एक अलग फैसले में कहा कि इस प्रकार, आंगनवाड़ी केंद्र राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून और गुजरात सरकार द्वारा बनाए गए नियमों के मद्देनजर सरकार की एक विस्तारित शाखा बन गए हैं। उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 47 के तहत परिभाषित राज्य के दायित्वों को प्रभावी बनाने के लिए आंगनवाड़ी केंद्रों की स्थापना की गई है और ऐसे में कहा जा सकता है कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और आंगनवाड़ी सहायक के पद वैधानिक हैं। कर्मचारियों से संबंधित महत्वपूर्ण समाचारों के लिए कृपया karmchari news पर क्लिक करें.