जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने तथ्य छिपाकर अपील दायर करने पर टीकमगढ़ निवासी अधिवक्ता निर्मल लोहिया पर एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया। चीफ जस्टिस रवि मलिमठ एवं जस्टिस पुरुषेन्द्र कौरव की खंडपीठ ने एमपी स्टेट बार कौंसिल को अधिवक्ता के खिलाफ व्यावसायिक कदाचरण की कार्रवाई करने के निर्देश दिए। कोर्ट ने लोहिया से पूछा कि क्यों न वकालत की सनद यानी लाइसेंस निलंबित कर दिया जाए। कोर्ट ने नोटिस जारी कर एक सप्ताह के भीतर स्पष्टीकरण पेश करने के निर्देश भी दिए। निर्मल लोहिया ने हाईकोर्ट की एकलपीठ द्वारा पूर्व में पारित आदेश को अपील के जरिये चुनौती दी थी।
अपील में कहा गया था कि विद्युत नियामक आयोग द्वारा विद्युत वितरण कंपनियों की तरफ से टैरिफ संबंधित अपील को वापस करने के सिलसिले में निर्देश जारी किए थे। विद्युत अधिनियम की धारा 64-3 के मुताबिक विद्युत नियामक आयोग को सुनवाई के बाद अपील को मंजूर या निरस्त करने का अधिकार है। आयोग को निष्पक्षता से निर्णय लेने का अधिकार है। इसके बावजूद टैरिफ संबंधी अपील को वापस कर दिया गया। इसी रवैये को हाईकाेर्ट की एकलपीठ में याचिका के जरिये चुनौती दी गई थी।
एकलपीठ ने याचिका को इस टिप्पणी के साथ निरस्त कर दिया कि टैरिफ अपील की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने अपनी आपत्ति प्रस्तुत कर दी है। अब आयोग याचिकाकर्ता की आपत्ति पर विचार करते हुए अंतिम निर्णय ले। इसी आधार पर एकलपीठ के आदेश के साथ आयोग को पत्र लिखा गया था। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट की युगलपीठ ने इस बात को गंभीरता से लिया कि आयोग को पत्र लिखने के बावजूद अपील कैसे दायर कर दी गई। यह रवैया अनुचित है। हाईकोर्ट का कीमती समय खराब करने को आड़े हाथों लेते हुए अपीलार्थी अधिवक्ता पर जुर्माना लगाया गया। मध्य प्रदेश की महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया mp news पर क्लिक करें.