कोर्ट द्वारा फरार घोषित व्यक्ति के खिलाफ क्या कार्रवाई होती है, पढ़िए - Legal General Knowledge

जब न्यायालय किसी आरोपी को गिरफ्तार करने के लिए वारण्ट जारी करता है एवं वह इस वारण्ट के बाद भी कहीं छिप जाता है या स्वयं को फरार कर लेता है तब न्यायालय या मजिस्ट्रेट दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 82 के अनुसार उद्घोषणा करेगा। 

फरार व्यक्ति के खिलाफ क्या कार्रवाई का प्रावधान

धारा 82 की उपधारा (1) के अनुसार न्यायालय आरोपी के खिलाफ वारण्ट जारी करेगा अगर आरोपी गिरफ्तारी से बचने के लिए फरार होता जाता है तब न्यायालय ऐसे आरोपी के खिलाफ किसी भी प्रकार की उद्घोषणा कराएगा। उद्घोषणा ग्राम, नगर, सार्वजनिक स्थान, आरोपी के निवास स्थान एवं स्थानीय दैनिक समाचार पत्र में प्रकाशित की जाएगी।

कोर्ट द्वारा फरार घोषित व्यक्ति, क्या अपराधी माना जाता है

दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 82 की उपधारा (4) के अनुसार निम्नलिखित अपराधों से सम्बंधित उद्घोषणा की समय निकालने के बाद उद्घोषित फरार आरोपी को न्यायालय अपराधी भी साबित कर सकता है या कोई सख्त प्रभावी घोषणा भी कर सकता हैं जानिए वो कौन से अपराध IPC के :-  
1. हत्या का आरोपी (धारा 302),
2. मानव वध का आरोपी (धारा 304)
3. हत्या करने के लिए अपहरण करना (धारा 364)
4. गंभीर चोटें या दास बनाने के लिए किडनैपिंग करना (धारा 367)
5. चोरी करने के लिए किसी व्यक्ति को गंभीर चोट या मृत्यु तक कर देना (धारा 382)
6. लूटपाट करना, लूटपाट का प्रयास करना, लुटपाट के लिए उपहति (चोट) करना, डकैती करना, हत्या के साथ डकैती करना, मृत्यु या गंभीर चोट करके डकैती या लूट करना, डाकुओं के गिरोह में होना, डकैती करने की योजना में शामिल होना। -【धाराए - 392, 393, 394, 395, 396, 397, 398, 399, 400 एवं 402】।
7. गृह, मकान, निवास को नष्ट करने के उद्देश्य से आग या विस्फोटक पदार्थ को जलाना (धारा 436)
8. मृत्यु करने के उद्देश्य से घर में अनधिकार घुस जाना(धारा 449)
9.  घर में घुस कर गंभीर चोट करना(धारा 459)
10. रात्रि के समय छिप कर घर में घुस जाना एवं मृत्यु या गंभीर चोट करना(धारा 460)।
उपर्युक्त धाराओं में उदघोषणा की समय सीमा के बाद न्यायालय अन्य को प्रभावी घोषणा करने के लिए स्वतंत्र हैं। 

फरार आरोपी उदघोषणा के बाद भी कोर्ट में पेश नहीं होता तो क्या होगा

दण्ड प्रक्रिया संहिता की उपर्युक्त अपराध की उदघोषणा के बाद भी आरोपी न्यायालय में हाजिर नहीं होता है तब ऐसे आरोपी को भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 176 (क) के अंतर्गत भी दण्डित किया जाएगा जानिये क्या है दण्ड का प्रावधान:-

दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 82 की अवमानना के अपराध संज्ञेय एवं अजमानतीय होंगे इनकी सुनवाई का अधिकार प्रथम श्रेणी के न्यायिक मजिस्ट्रेट को होगा। सजा- 
1. न्यायालय द्वारा की गई सामान्य उदघोषणा (किसी भी प्रकार की) को की अवमानना करने के लिए अधिकतम तीन वर्ष की कारावास या जुर्माना या दोनो से दण्डित किया जा सकता है।
2. दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 82 की उपधारा(2) में उपर्युक्त वर्णित उदघोषणा की अवमानना करने पर अधिकतम सात वर्ष की कारावास एवं जुर्माना से दण्डित किया जा सकता है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)

:- लेखक बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665
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