आज हम जिस अपराध के बारे में बता रहे हैं, वर्तमान युग में बहुत सी महिलाएं इस अपराध का शिकार ही रही है। कोई भी अनजान व्यक्ति स्वयं को पुलिस अधिकारी, सेना अधिकारी, मंत्री, नेता या कोई बिजनेस मेन, डॉक्टर आदि बनकर फेसबुक, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम, ट्विटर आदि पर दोस्ती कर लेता है वास्तव में वह व्यक्ति किसी और कि फ़ोटो, वीडियो, ऑडियो आदि एडिटिंग करके स्वंय धारण कर लेता है। ऐसे फर्जी व्यक्ति के खिलाफ आप डारेक्ट थाने में एफआईआर दर्ज करवा सकते हैं पढ़िए महत्वपूर्ण जानकारी।
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 66 (घ) की परिभाषा
जो व्यक्ति संचार युक्त किसी भी साधन या कम्प्यूटर साधन के माध्यम से छल, कपट, बेईमानी के उद्देश्य से किसी व्यक्ति का बनाबटी रूप धारण करेगा या पहचान को एडिटिंग करेगा ऐसा करने वाला व्यक्ति उपर्युक्त धारा के अंतर्गत दण्डित किया जाएगा।
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 66 (घ) के अंतर्गत दण्ड का प्रावधान:-
यह अपराध समझोता योग्य है उसी न्यायालय द्वारा जहाँ अपराध का विचारण है एवं यह संज्ञेय एवं जमानतीय अपराध हैं। अधिनियम के अनुसार अपराध का इन्वेस्टिगेशन करने की शक्ति निरीक्षक(इंस्पेक्टर) की नीचे की पक्ति के पुलिस अधिकारी को नहीं हैं। सजा- इस अपराध के लिए अधिकतम तीन वर्ष की कारावास एवं एक लाख रुपए का जुर्माना से दण्डित किया जा सकता है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
:- लेखक बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665
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