ग्वालियर। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने रोमानिया पर भारतीय नागरिकों के रेस्क्यू ऑपरेशन में शामिल होकर वैसे भी बड़ा काम किया है लेकिन उनकी पीआर एजेंसी ने हेडलाइंस के लिए उनसे कुम्हार का चाक चलवा दिया। सिंधिया ने समारोह पूर्वक मिट्टी का एक दिया बनाकर दिखाया। ऐसा करके उन्होंने क्या साबित किया, इसका पता उनकी पीआर एजेंसी से वित्तीय सहायता प्राप्त संस्थाओं के माध्यम से पता चलेगा।
GWALIOR NEWS- ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अस्पताल का भूमि पूजन किया
युद्ध क्षेत्र के बॉर्डर से वापस लौट कर ज्योतिरादित्य सिंधिया गुरुवार को ग्वालियर पहुंच गए। आज उनके पिता कैलाश वासी माधवराव सिंधिया की 77वी जयंती है। यहां उन्होंने कई कार्यक्रमों में भाग लिया। पब्लिक के काम की बात यह है कि किशनबाग इलाके में 30 बेड के अस्पताल और सड़क का भूमिपूजन हो गया है। उम्मीद है विधानसभा चुनाव से पहले लोकार्पण भी हो जाएगा।
MP NEWS- ज्योतिरादित्य सिंधिया के दीए की कहानी
बहोड़ापुर इलाके में एक मंच सजाया गया था। यहां बिजली से चलने वाला कुम्हार का चाक लगाया गया था। कुछ मिट्टी के लिए पहले से बना कर रख दिए गए थे। निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार ज्योतिरादित्य सिंधिया आए और उन्होंने समारोह पूर्वक मिट्टी का एक दिया बनाया। इसके बाद हेडलाइंस बन गई और प्रचार शुरू हो गया।
GWALIOR NEWS- ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मिट्टी का दिया क्यों बनाया
एक अनुमान है कि उनकी पीआर एजेंसी ने ऐसा शायद इसलिए क्या होगा क्योंकि आज पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव नतीजे आए हैं। अस्पताल और सड़क के लोकार्पण की खबर को नेशनल मीडिया तो क्या, मध्य प्रदेश की मीडिया में भी हेडलाइंस नहीं मिल पाएंगी। सिंधिया विदेश से लौटे, यदि अपनी ग्वालियर की मिट्टी से जुड़ा कुछ कर दिया जाए तो ब्रेकिंग न्यूज़ बन जाएगी। स्वामी विवेकानंद की तरह माथे पर मिट्टी तो बहुत सारे लोग लगा चुके हैं। शायद इसलिए मिट्टी का दिया बना लिया।
ग्वालियर में महाराज को प्रचार की भूख क्यों है
मिट्टी के दीए बनाना ज्योतिरादित्य सिंधिया का काम नहीं है। उनका काम है मिट्टी के दीए बनाने वाले को कुम्हारों के जीवन स्तर को अच्छा करना। उनके बच्चों के लिए अच्छे सरकारी स्कूल बनाना। उनके इलाज के लिए अच्छे अस्पताल बनाना। और उनके मिट्टी के बर्तन बिताने के लिए बाजार बनाना। ज्योतिरादित्य सिंधिया यदि केंद्रीय मंत्री ना भी हों, तब भी ग्वालियर के लोग उन्हें उतना ही प्यार करते हैं, और जो नहीं करते, वह दीया बनाने के बाद भी नहीं करेंगे। समझ नहीं आया कि फिर ग्वालियर में महाराज को प्रचार की भूख क्यों है। ग्वालियर की महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया GWALIOR NEWS पर क्लिक करें.