GWALIOR MELA का इतिहास, कहानी और वह सब जो जानना जरूरी है

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ग्वालियर।
मध्य प्रदेश के ग्वालियर व्यापार मेले की शुरुआत 1905 में तत्कालीन शासक माधौराव सिंधिया ने की थी। इस साल मेला 117 साल पूरे कर लेगा। खास बात यह है इतने साल गुजर जाने के बाद भी यह मेला जवान है। इसके चेहरे का नूर हर साल बढ़ता ही जा रहा है, क्योंकि यहां पहुंचने वाले सैलानियों को सौगातें देने के लिए सरकार निरंतर प्रयासरत रहती है। 

ग्वालियर व्यापार मेला परिसर 104 एकड़ में फैला हुआ है। इसमें बनी कच्ची-पक्की दुकानों में ग्वालियर के अलावा अन्य राज्यों से आए व्यापारी अपने उत्पादों को सजाते हैं। कुछ चबूतरे भी हैं, जिन पर बैठकर खाने-पीने वाले अपने सामान का विक्रय करते हैं। रेसक्रास स्थित व्यापार मेला मैदान को मध्यप्रदेश का प्रगति मैदान भी कहा जाता है। यहां होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों का कैलेंडर हर वर्ग को ध्यान में रखकर डिजाइन किया जाता है। जिसमें कव्वाली, मुशायरा, कवि सम्मेलन ही नहीं चित्रकला स्पर्धा तक को भी शामिल किया जाता है।

व्यापारिक दृष्टिकोण से ग्वालियर व्यापार मेला काफी महात्वपूर्ण है। खरीदार और व्यापारियों के लिए शुरू किए आफर पूरे मप्र में लागू हो जाते हैं। अगर व्यापार मेले के आटोमोबाइल सेक्टर में सजे किसी कंपनी के शोरूम पर डिस्काउंट दिया जा रहा है तो वह आफर प्रदेश के हर शोरूम पर शुरू किया जाता है। इतना ही यहां लगने वाली प्रदर्शनी में सरकार की योजनाएं भी सामने आती हैं। इसका फायदा अंचल के ग्रामीण क्षेत्रों से आए किसानों को मिलता है। वे योजनाओं को जान पाते हैं और फिर फायदा भी लेते हैं। ग्वालियर की महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया GWALIOR NEWS पर क्लिक करें.

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