General knowledge for competitive exams
हम सभी जानते हैं कि एक समय ऐसा था जब मुगलों ने पूरे राजस्थान पर अपना शासन स्थापित कर लिया था। मुगलों ने भारत में करीब 704 शहरों और ऐतिहासिक महत्व के स्थलों के नाम बदले, लेकिन राजस्थान की रियासतों और ऐतिहासिक स्थलों के नाम नहीं बदले। सवाल यह है कि मुगलों ने राजस्थान के शहरों के नाम क्यों नहीं बदले। आइए पता लगाते हैं:-
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मुगलों के इतिहास में यदि किसी धरती पर सबसे ज्यादा युद्ध हुए तो वह राजस्थान है। मुगलों के इतिहास का सर्वाधिक रक्तपात राजस्थान में ही हुआ लेकिन मुगलों को यदि सबसे ज्यादा कहीं नुकसान हुआ तो वह राजस्थान है। यह बात सही है कि मुगलों ने पूरे राजस्थान पर अपना शासन स्थापित कर लिया था। अपनी आदत के अनुसार उन्होंने राजस्थान के कई शहरों का नाम बदला। पूरी लिस्ट पर बात नहीं करेंगे लेकिन ऐतिहासिक चित्तौड़ का नाम बदलकर खिजराबाद कर दिया गया था। आमेर का नाम भी बदलकर मोमीनाबाद रख दिया था।
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मुगलों के साथ युद्ध में हारे राजस्थानी रियासतों के राजाओं ने हिम्मत नहीं हारी थी। उन्होंने समय की प्रतीक्षा की और जैसे-जैसे मुगल कमजोर होते गए वैसे वैसे रियासतों के पुराने नाम पूरे वैभव के साथ घोषित किए जाते रहे। 17वी शताब्दी में राजस्थान में मुगलों द्वारा बदले गए सभी नाम अस्वीकार कर दिए गए थे। कमजोर हो चुके मुगल, राजस्थान की रियासतों से लड़ने की ताकत नहीं रखते थे। इसलिए उन्होंने भी कोई आपत्ति नहीं उठाई।
एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि मुगलों ने केवल उन्हीं शहरों के नाम बदले जहां पर लोकल एडमिनिस्ट्रेशन मुगलों के पास चला गया था। राजस्थान की सबसे अच्छी बात यह रही कि ज्यादातर राजाओं ने लोकल एडमिनिस्ट्रेशन अपने पास रखा। इसके चलते मुगल, अन्य इलाकों की तरह राजस्थान में मनमानी नहीं कर पाए। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article
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