बहुत से साइबर अपराध ऐसे होते हैं जो कम्प्यूटर, लैपटॉप या मोबाइल में सेव हमारी पहचान को चुरा लेते हैं जैसे हमारी व्हाट्सएप, फेसबुक, ट्वीटर, CsC, ऑनलाइन ट्रांजेक्शन आईडी, डिजिटल हस्ताक्षर एवं किसी भी प्रकार को लॉगिन आईडी को चुरा कर बेईमानी या कपटपूर्ण आशय से उसका इस्तेमाल स्वंय करते हैं तब ऐसे व्यक्ति के खिलाफ थाने में किस कानून के अंतर्गत सीधे एफआईआर दर्ज होगी जानिए।
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 66 (ग) की परिभाषा:-
कोई भी व्यक्ति कपटपूर्वक या बेईमानी से किसी अन्य व्यक्ति के डिजिटल हस्ताक्षर, किसी भी प्रकार के लॉगिन पासवर्ड, या कोई अन्य पहचान का उपयोग स्वंय के लिए करेगा वह उपर्युक्त धारा के अंतर्गत दोषी होगा। (सरल शब्दों में यदि कोई व्यक्ति, किसी अन्य व्यक्ति की पहचान का उपयोग इंटरनेट पर करेगा तो वह उपरोक्त धारा 66 (ग) के अंतर्गत अपराधी माना जाएगा)
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम,2000 की धारा 66 (ग) के अंतर्गत दण्ड का प्रावधान:-
यह अपराध समझोता योग्य है उसी न्यायालय द्वारा जहाँ अपराध का विचारण है एवं यह संज्ञेय एवं जमानतीय अपराध हैं। अधिनियम के अनुसार अपराध का इन्वेस्टिगेशन करने की शक्ति निरीक्षक (इंस्पेक्टर) की नीचे की पक्ति के पुलिस अधिकारी को नहीं हैं। सजा- इस अपराध के लिए अधिकतम तीन वर्ष की कारावास एवं एक लाख रुपए का जुर्माना से दण्डित किया जा सकता है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
:- लेखक बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665
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