SCMaglev train में ऐसा कौन सा इंजन है जो उसे 603kmph की स्पीड देता है, यहां पढ़िए- GK in Hindi

सेंट्रल जापान रेलवे की एससी मैग्लेव ट्रेन के बारे में तो अपन जानते ही हैं। यह दुनिया की सबसे तेज दौड़ने वाली ट्रेन है। इसकी स्पीड 603 किलोमीटर प्रति घंटा है। सवाल यह है कि एससी मैग्लेव ट्रेन में ऐसा कौन सा इंजन होता है जो उसे 603 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड देता है, और इतनी तेज स्पीड के बाद भी ट्रेन का संतुलन बिगड़ता क्यों नहीं। आइए पता लगाते हैं। 

एससी मैग्लेव ट्रेन दुनिया की सबसे तेज गति से दौड़ने वाली ट्रेन है। इस ट्रेन को सेंट्रल जापान रेलवे ने तैयार किया है। इस ट्रेन को यदि भारत में चलाया जाए तो दिल्ली से मुंबई (1300 किलोमीटर) पहुंचने में अधिकतम ढाई घंटे का समय लगेगा। यह ट्रेन सारी दुनिया के लिए आकर्षण का केंद्र है और दुनिया के सभी विकसित और विकासशील देशों के नागरिक अपने क्षेत्र में इस ट्रेन का इंतजार कर रहे हैं। 

लेकिन क्या आप जानते हैं 603 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड से दौड़ने वाली इस ट्रेन के इंजन में कोई दम नहीं होती। ट्रेन का इंजन, केवल स्टार्ट करके शुरुआती स्पीड देने के लिए उपयोग किया जाता है। बिलकुल वैसे ही जैसे कार को स्टार्ट करने के बाद उसे शुरुआती स्पीड देने के लिए फर्स्ट गियर का उपयोग किया जाता है।

दरअसल SC maglev train की स्पीड का राज उसकी पटरियों में छुपा हुआ है। यह कोई सामान्य पटरी नहीं है, बल्कि सुपरकंडक्टिंग मैग्नेट फील्ड पैदा करती है। रेलवे ट्रैक में 700 किलो एंपियर करंट दौड़ रहा होता है। रेलवे ट्रैक में सुपरकंडक्टिंग इलेक्ट्रोमैग्नेट कॉइल्स लगे होते हैं। इनके कारण एक जबरदस्त मैग्नेटिक फील्ड उत्पन्न होती है, और इसी की ताकत से ट्रेन 603 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड से दौड़ पाती है। 

आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इतनी तेज दौड़ने के बाद भी ट्रेन का बैलेंस इसलिए नहीं बिगड़ता क्योंकि पूरी ट्रेन सुपरकंडक्टिंग इलेक्ट्रोमैग्नेट कॉइल्स द्वारा पैदा की गई एक्वेटिक फील्ड के बीच में चल रही होती है। मजेदार बात यह है कि यह ट्रेन स्टार्ट होकर बिल्कुल हवाई जहाज की तरह टायरों पर चलना शुरू कर दी है, लेकिन एक न्यूनतम स्पीड प्राप्त करने के बाद सुपरकंडक्टिंग इलेक्ट्रोमैग्नेट फील्ड में आकर हवा में उड़ने लगती है। इसके टायर हवाई जहाज की तरह अंदर चले जाते हैं। 

कुल मिलाकर बात केवल इतनी सी है कि SC maglev train इंजन के दम पर नहीं बल्कि सुपरकंडक्टिंग इलेक्ट्रोमैग्नेट कॉइल्स से बने रेलवे ट्रैक के दम पर दौड़ती है।  Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article 
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