MANIT Bhopal में स्टूडेंट्स का अनिश्चितकालीन आंदोलन

Maulana Azad National Institute of Technology Bhopal (मौलाना आजाद राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, भोपाल) में पीएचडी स्कॉलर्स की अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू हो गई है। कड़ाके की ठंड के बीच स्टूडेंट्स मेरिट की मैन बिल्डिंग के पोर्च के सामने बैठ गए हैं। इससे पूर्व यह स्कॉलर्स मैनिट प्रशासन सहित प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, शिक्षा मंत्री, स्थानीय सांसद से लेकर तमाम संबंधित जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों को अपनी मांगों को लेकर लिख चुके हैं। 

बताया गया है कि जुलाई 2019 से पीएचडी स्कॉलर्स को दी जाने वाली एचआर HRA की राशि को रोक दिया गया है। स्कॉलर्स द्वारा प्रयास करने के बाद 1 महीने का HRA अक्टूबर माह में दिया गया। उसके बाद फिर से एचआरए की राशि रोक दी गई है। स्कॉलर्स मांग कर रहे हैं कि जब उनका एडमिशन मैनिट में हुआ जुलाई 2019 से ही उन्हें एचआरए की राशि का एरियर दिया जाए। 

कोरोना काल और लॉकडाउन के कारण विगत डेढ़ वर्ष तक पीएचडी स्कॉलर्स मैनिट केंपस नहीं आए थे। जिससे एक्सपेरिमेंट परफॉर्म नहीं कर पाए और उनका रिसर्च कार्य सही ढंग से नहीं हो पाया लेकिन मैनिट प्रशासन ने हाल ही में एक सर्कुलर जारी करके पीएचडी स्कॉलर्स जिन्हें 3 वर्ष पूर्ण हो गए हैं उनकी स्टाइपेंड रोक दी है। सर्कुलर में उल्लेख किया गया है कि जो पीएचडी स्कॉलर 3 वर्ष पूर्ण होने पर Q1, Q2 क्लास का एससीआई रिसर्च पब्लिकेशन सबमिट नहीं करेगा उसकी स्टाइपेंड बंद कर दी जाएगी। 

10 दिनों से चले आ रहे सांकेतिक प्रोटेस्ट के दौरान डिपार्टमेंट के एचओडी और रिसर्च स्कॉलर के सुपरवाइजर के माध्यम से स्कॉलर्स को डराया जा रहा है कि इस तरह की गतिविधियां मैनिट कैंपस में ना करें। वही एससी/एसटी के पीएचडी स्कॉलर्स पर नियम विरुद्ध ट्यूशन फीस भरवाने के लिए दबाव बनाया जा रहा है। उनके रजिस्ट्रेशन फॉर्म जमा करने से मैनिट प्रशासन द्वारा मना किया जा रहा है। 

इस बीच स्कॉलर्स सांसद प्रज्ञा सिंह को पत्र लिखकर उनके अधिकारों को दिलाने के लिए कहेंगे। एक मैनिट स्कॉलर ने नाम ना छापने की शर्त पर कहा कि जहां पूरे विश्व में कोविड-19 के कारण नियमों में शिथिलता की जा रही है वहीं मैनिट हमें मानसिक और आर्थिक रूप से प्रताड़ित कर रहा है, अनावश्यक नियम बनाकर हम पर थोपे जा रहे हैं। एससीआई जर्नल्स में पेपर पब्लिकेशन के लिए पर्याप्त समय की आवश्यकता होती है, क्योंकि डेढ़ साल तक कैंपस बंद रहा है तो कम से कम यह डेढ़ साल की अवधि हमें मिलना चाहिए ताकि हम अपनी रिसर्च पूर्ण कर उसे Q1, Q2 क्लास के एससीआई जर्नल्स में पब्लिश करवा सकें। 

एक अन्य रिसर्च स्कॉलर्स ने जानकारी दी है कि पूरे भारत के एनआईटी और आईआईटी संस्थानों में एचआरए की राशि प्रतिमाह दी जाती है, किंतु मैनिट प्रशासन भ्रष्टाचार में व्याप्त है। रिसर्च स्कॉलर्स की एचआरए की राशि का संभवत दुरुपयोग किया जा रहा है। भोपाल की महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया bhopal news पर क्लिक करें.

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