हाईकोर्ट ने परिवहन आयुक्त को फटकारा, हर सप्ताह प्रोग्रेस रिपोर्ट मांगी- MP NEWS

जबलपुर
। मध्य प्रदेश के परिवहन आयुक्त डॉ मुकेश जैन को हाईकोर्ट ने फटकार लगाई है। जबलपुर सहित मध्य प्रदेश के कई शहरों में ऑटो रिक्शा की धमाचौकड़ी रोकने के लिए प्रस्तुत की गई जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने परिवहन आयुक्त से कहा कि आपसे नहीं हो पा रहा है, तो हम किसी और एजेंसी को दे देंगे। अब इस मामले की सुनवाई हर सोमवार को पहले नंबर पर सीजे के कोर्ट में होगी।

ऑटो रिक्शा संचालन का सिस्टम बनवाने 8 साल पहले जनहित याचिका लगाई थी

अधिवक्ता सतीश वर्मा ने 2013 में जबलपुर सहित प्रदेश में ऑटो की धमाचौकड़ी को लेकर जनहित याचिका लगाई थी। आठ साल बाद भी हालात जस के तस हैं। चीफ जस्टिस रवि मलिमठ और जस्टिस विशाल धगट की कोर्ट में मामले की सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता सतीश वर्मा की ओर से अधिवक्ता अमित पटेल ने पक्ष रखा। सुनवाई के दौरान वीसी के माध्यम से ट्रांसपोर्ट कमिश्नर भी जुड़े थे। सरकार की ओर से अधिवक्ता स्वप्निल गांगुली पक्ष रख रहे थे।

हाईकोर्ट ने परिवहन आयुक्त से पूछा- 8 साल में क्या किया

सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने सरकार और ट्रांसपोर्ट कमिश्नर से पूछा कि आठ साल में ऑटो की धमाचौकड़ी रोकने के लिए क्या किया? सरकार की ओर से अधिवक्ता ने जवाब में बताया कि सरकार इसके लिए पॉलिसी बना रही है। 

मध्यप्रदेश में 6000 अवैध ऑटो, परिवहन विभाग ने मात्र 22 जप्त किए

प्रदेश में अवैध तरीके से संचालित ऑटो पर कार्रवाई के सवाल पर बताया कि पूरे प्रदेश में छह हजार ऑटो अवैध तरीके से चल रहे हैं। अब तक 22 ऑटो जब्त किए जा चुके हैं। इस पर कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त करते हुए पूछा कि प्रदेश में ऑटो की धमाचौकड़ी पर सरकार लगाम लगा पाएगी या नहीं। नहीं तो हम किसी और एजेंसी को ये काम दे देंगे।

सरकार को हर सप्ताह हाईकोर्ट में प्रोग्रेस रिपोर्ट देनी होगी

चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली डबल बेंच ने सरकार को आदेश दिया कि अब इस मामले की हर सोमवार को पहले नंबर पर केस लगेगा। सरकार को हर सप्ताह में की गई कार्रवाई और ऑटो को व्यवस्थित करने के संबंध में किए गए प्रयास की जानकारी कोर्ट में देनी होगी। लगभग 20 मिनट इस अहम मामले पर कोर्ट में सुनवाई चली।

एक भी ऑटो मीटर से नहीं चलता, RTO कॉन्ट्रैक्ट के बजाय कैरिज परमिट देते हैं

सतीश वर्मा द्वारा लगाए गए याचिका में कहा गया था कि ऑटो कॉट्रेक्ट परमिट के बजाय कैरिज परमिट पर चल रहे हैं। तीन के बजाय ऑटो में सवारी ठूंस कर बैठाई जाती है। एक-एक सवारी को बिठाने के लिए ड्राइवराें में इस कदर होड़ मचती है कि उनके साथ भी दुर्व्यवहार हो जाता है। ऑटो के मॉडल में बदलाव कर अधिक सवारी बैठाने के लिए बीच में पटिया लगा दिया जाता है। एक भी ऑटो मीटर से संचालित नहीं होते हैं।

हाई कोर्ट की सख्ती पर होती है दिखावे की कार्रवाई

बीच में इस याचिका पर हाई कोर्ट के निर्देश के बाद अभियान चलाकर कार्रवाई हुई थी। रूट भी बनाया गया था, पर मामला फिर पुराने ढर्रे पर लौट आता है। चौराहे-तिराहे पर ऑटो वाले इस तरह से खड़ रहते हैं कि दूसरे लोगों को निकलना मुश्किल हो जाता है। मध्य प्रदेश की महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया MP NEWS पर क्लिक करें.

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!