शक्ति रावत। आज असत्य पर सत्य की जीत का पर्व विजयादशमी है, सदियों से हम यह त्यौहार मनाते हैं, लेकिन सिर्फ रस्म के तौर पर आज ऐसे कितने लोग हैं, जिनको इस बात पर यकीन है, कि जीत सत्य की होती है। इसीलिये हम किताबों में तो सत्य और सच्चाई की जीत की बहुत बातें करते हैं, लेकिन जीवन में कभी भी इसे नहीं अपनाते, और जब खुद ही नहीं अपनाते तो बच्चों को क्यों सिखाएं।
बात ठीक भी है। क्योंकि आज 90% लोगों के जीवन का मूल मंत्र सिंद्वात विहीन जीवन ही है। लेकिन क्या सच में यह ठीक है। बिल्कुल नहीं। क्योंकि इन 90% सिंद्वात विहीन लोगों पर वे 10% लोग राज करते हैं जिनके जीवन में सिंद्वात होते हैं, और जो इस बात में यकीन रखते हैं, की सच की ही जीत हमेशा होती है। यकीन ना हो तो एक बार गौर करके देख लीजिये। इसलिये आज बात प्रिंसीपल मैनेजमेंट की।
1- सफल होना है, तो सिद्धांत तय करें
आपने शार्टकट अपनाने वाले सैकड़ों लोगों के नाम सिर्फ घोटालों और अदालत के मुकदमों में सुने होंगे। लेकिन जो लोग आज दुनिया में सफलता के आईकॉन हैं, उनमें से एक भी इस लिस्ट में शामिल नहीं है, क्योंकि सफल वही होता है, जो जीवन में सिंद्वात तय करके चलता है, इसलिये अगर सफल होना है, तो मौका देखकर रंग बदलने की आदत छोडक़र जिंदगी के लिए कुछ सिद्वांत तय करें और उन पर अडिग रहें।
2- रातों रात स्टार बनने वालों का क्या हुआ
आपके आसपास ऐसे बहुत से लोग होंगे जिनको आपने फर्श से अर्श पर बहुत कम समय में पहुंचते देखा होगा। उनका रूतबा देखकर आपको जलन भी हुई होगी, लेकिन फिर उनका अंजाम क्या हुआ। क्योंकि सफलता के लिए मेहनत का कोई विकल्प नहीं है। कड़ी मेहनत से ऊंचाई पर पहुंचने वाला आदमी कभी नीचे नहीं गिरता समाज और दुनिया एेसे लोगों के उदाहरण से भरी पड़ी है। मेहनत से आप देर से सही पर दुरूस्थ पहुंचेगें।
3- ईमानदारी का कोई विकल्प नहीं
मेरे पिता अकसर कहा करते थे कि दुनिया में बेईमान से बेईमान आदमी भी ईमानदार साथी को ढूंढता था, जीवन में अनुभव किया तो बात सच पाई। क्योंकि ईमानदारी का कोई विकल्प नहीं है। बेईमानी से आप कुछ वक्त के लिए सफल तो हो सकते हैं, लेकिन जीवनभर के लिए नहीं हैं। अगर आप जीवन में ईमानदारी को चुनते हैं, तो आपका सम्मान लोगों की नजरों में और तरह का हो जाएगा। यह पूंजी हमेशा आपके काम आएगी।
4- सच के साथ खड़े रहिये
लोग हमेशा सच और झूठ में से इसलिये झूठ को चुन लेते हैं, क्योंकि उन्हें उससे तुंरत कोई फायदा होता दिखता है। लेकिन ऐसे लोग दूसरों के साथ ही खुद के साथ भी झूठ बोलने लगते हैं, हर गलत बात पर खुद का बचाव कर लेते हैं, लेकिन यही आदत उनकी आगे बढऩे की राह को हमेशा के लिए बंद कर देती है, और वे उसी भीड़ का हिस्सा बन जाते हैं, जो यह मानकर चल रही है, कि आज के युग में सच्चाई है कहां। लेकिन जो सच के साथ खड़े होते हैं, वे भीड़ से अलग अपनी जगह बना लेते हैं। इसलिये सच के साथ खड़े रहिये चाहे ऐसा करने वाले आप अकेले ही क्यों ना हों, नतीजे भी चौंकाने वाले होंगे। -लेखक मोटीवेशनल एंव लाइफ मैनेजमेंट स्पीकर हैं।
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