क्या पीड़ित महिला पति-ससुराल के खिलाफ किसी भी कोर्ट में परिवाद दाखिल कर सकती है - CrPC SECTION-177

प्रावधान है कि यदि घटना क्षेत्र वाले पुलिस थाने में जाना संभव ना हो अथवा वहां जाना खतरनाक हो तो किसी भी नजदीकी पुलिस थाने में FIR दर्ज करवाई जा सकती है। महिलाओं के प्रति पुलिस डिपार्टमेंट संवेदनशील होता है और दहेज प्रताड़ना अथवा घरेलू हिंसा के मामले में अक्सर मायके वाले थाने में ससुराल पक्ष के खिलाफ FIR दर्ज कर ली जाती है। परंतु प्रश्न यह है कि क्या इसी प्रकार महिला किसी भी कोर्ट में अपने पति के खिलाफ तलाक अथवा गुजारा भत्ता के लिए परिवाद दाखिल कर सकती है।

दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 177 की परिभाषा:-

प्रत्येक अपराध की जाँच और विचारण सामान्य तौर पर उसी न्यायालय द्वारा किया जाएगा जिसकी स्थानीय अधिकारिता क्षेत्र के अंदर कोई अपराध किया गया है। अर्थात पति अगर पत्नी पर अत्याचार करता है तब महिला अपने मायके के न्यायालय में परिवाद नहीं लगा सकती बल्कि उसे उस न्यायालय में परिवाद दाखिल करना होगा जहां पर वह निवास करती थी और उसके साथ क्रूरता का व्यवहार किया गया। स्थानीय अधिकारिता वाले न्यायालय में ही परिवाद की सुनवाई होगी।

उधारानुसार वाद: निनगप्पा शिवप्पा, गौरी बनाम श्रीमती कलावती

उक्त मामले में पत्नी द्वारा पति के विरुद्ध बहुपत्नीत्व (दूसरा विवाह) की शिकायत उस स्थान पर फाइल की गई थी, जहाँ वह अपने पति को छोड़कर अपने माता पिता के साथ रह रही थी। न्यायालय द्वारा अभिनिर्धारित किया गया कि पत्नी के आवास तक अपनी अधिकारिता रखने वाले न्यायालय द्वारा शिकायत पर विचार किया जा सकता है अर्थात जहाँ पति-पत्नी साथ रहे हैं उस न्यायालय में विचार किया जाएगा। उस अधिकारिता सीमा से अलग का न्यायालय ऐसे मामले की सुनवाई करने के लिए सक्षम नहीं है।  :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com 

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