BREAKING NEWS- बक्सवाहा मप्र के जंगल में 30 हजार साल पुरानी रॉक पेंटिंग मिली

भोपाल
। मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में बक्सवाहा का जंगल जहां वर्तमान में 46 प्रजातियों के करीब तीन लाख वर्षों पुराने पेड़ खड़े हुए हैं और सरकार इन्हें काट कर हीरे की खदान बनाने की प्रक्रिया पर काम कर रही है, वहीं पर मानव सभ्यता के विकास के प्रमाण मिले हैं। करीब 30 हजार साल पुरानी रॉक पेंटिंग मिली है। उस समय इंसानों ने आग जलाना भी नहीं सीखा था।

बक्सवाहा के जंगल वर्ल्ड क्लास नेचुरल टूरिस्ट प्लेस बन सकते हैं

NGT और हाईकोर्ट के निर्देश पर आर्कियोलॉजी विभाग ने इस रॉक पेंटिंग का सर्वे करने के बाद विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है। ये रॉक पेंटिंग पाषाण युग और मानव के ज्ञात इतिहास से पहले की हैं। इस क्षेत्र के गांवों में चंदेल और कल्चुरी काल की मूर्तियां भी मिली हैं। इस क्षेत्र को संरक्षित कर पर्यटन के बड़े केंद्र के तौर पर विकसित करने की मांग उठने लगी है। क्योंकि इस प्रकार की प्राकृतिक संपदा और मानव सभ्यता के विकास के प्रमाण पूरी दुनिया में दुर्लभ है।

मध्य प्रदेश सरकार को करोड़ों का राजस्व मिलेगा

हाईकोर्ट व NGT में जनहित याचिका लगाने वाले डॉक्टर पीजी नाजपांडे के मुताबिक अभी तक बक्सवाहा की पहचान अपने गर्भभंडार में हीरा होने के चलते थी, लेकिन अब उसकी नई पहचान मानव सभ्यता के इतिहास को प्रदर्शित करने वाली रॉक पेंटिंग बन सकती है। यदि इसे विश्व स्तरीय पर्यटन केंद्र के रूप में प्रचारित किया गया तो बक्सवाहा के जंगलों से मध्य प्रदेश सरकार को बिना कोई खदान लीज पर दिए, करोड़ों का राजस्व हमेशा मिलता रहेगा। आर्कियोलॉजी विभाग अपनी रिपोर्ट NGT के अलावा हाईकोर्ट में भी पेश करने की तैयारी में है।

बक्सवाहा के जंगल दुनिया के लिए दुर्लभ हैं, संरक्षित किए जाने चाहिए

आर्कियोलॉजी विभाग अधीक्षण पुरातत्व विद् डॉक्टर सुजीत नयन की अगुवाई में यह सर्वे 10 जुलाई से 12 जुलाई के बीच किया गया। टीम में सहायक अधीक्षण पुरातत्व विद् पुरातत्व संग्रहालय खजुराहो कमलकांत वर्मा, ड्राफ्टमैन सुरेंद्र सिंह विष्ट और शिवम दुबे शामिल थे। आर्कियोलॉजी विभाग ने बक्सवाहा जंगल में सर्वे कर पाया कि यहां पर तीन जगह बड़ी रॉक पेंटिंग और मूर्तियां हैं। सर्वे में पुरातात्विक महत्व के स्थान मिले, जो इस क्षेत्र में लंबे समय से मानवों के निवास और उनके सांस्कृतिक क्रम को दर्शाती हैं।

NGT और हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका के कारण हो पाया महत्वपूर्ण खुलासा

आर्कियोलॉजी विभाग जबलपुर सर्कल ने बक्सवाहा में यह सर्वे डॉ. पीजी नाजपांडे व रजत भार्गव द्वारा NGT और हाईकोर्ट में दायर याचिका के सिलसिले में किया। आर्कियोलॉजी विभाग की ओर से 23 जुलाई को अपनी रिपोर्ट मामले में अधिवक्ता प्रभात यादव को भेजी है। सर्वे के मुताबिक मानव इतिहास के पूर्व की चीजें (प्री हिस्टोरिक पीरियड) इस क्षेत्र के ढीमर कुंआ के जंगल में मिली है। यहां तीन स्थानों पर प्री-हिस्टोरिक पीरियड की रॉक पेंटिंग पाई गई। रॉक पेंटिंग के बारे में बताया गया है। पेंटिंग में युद्ध से लेकर एक्सरे पेंटिंग तक शामिल है। यदि जनहित याचिका नहीं लगाई जाती तो यह खुलासा भी नहीं होता। सरकार तो राजस्व कमाने के लिए खदान लीज पर देने की तैयारी कर चुकी है।

सर्वे टीम ने तीन श्रेणी में रॉक पेंटिंग को क्रमबद्ध किया है

पहली रॉक पेंटिंग अस्पष्ट है, वह लाल रंग से बनाई गई है। यह आग की खोज से पहले की राॅक पेंटिंग है।
दूसरी रॉक पेंटिंग मानव इतिहास समय की है, यह लाल रंग से बनी है, इसमें युद्ध के चित्र उकेरे गए हैं।
तीसरी जगह में कुछ रॉक पेंटिंग पाषाण युग के मध्यकाल की है। यह लाल रंग और चारकोल से बनी है। मतलब तब आग की खोज हो चुकी थी।

चंदेल और कल्चुरी काल का भी इतिहास बिखरा मिला

सर्वे में रॉक पेंटिंग के अलावा कुसमार गांव में सती पाषाण मूर्ति मिली है।
उसी गांव के खेरमाता प्लेटफार्म में बहुत संख्या में मूर्तियां मिली है, जो चंदेल और कल्चुरी काल की हैं।
यहां पर गणेश मूर्ति, गधा पाषण, हनुमान मूर्ति मिली है। इसी के बगल में सती पाषण और खम्बा मिला है।
लाल रंग की रॉक पेंटिंग आग की खोज से पहले बनाई जाती थी।
लाल रंग की रॉक पेंटिंग आग की खोज से पहले बनाई जाती थी।

आग की खोज से पहले की हैं रॉक पेंटिंग

यहां एक्सरे स्टाइल में रॉक पेंटिंग मिली है। यह हजारों साल पुरानी बताई जा रही है। यहां मिले रॉक पेंटिंग में शिकार करने के तौर तरीकों और उस दौर में इस्तेमाल किए जाने वाले औजारों को उकेरा गया है। कई जानवरों के पैरों के चित्र बने हैं। 2016 में महाराजा छत्रसाल डिग्री कॉलेज के प्रवक्ता एवं पुरातत्व विद् एसके छारी ने शोधपत्र प्रकाशित किया था। इसमें बताया गया कि यहां लाल रंग का उपयोग किया गया है। मतलब जब आग की भी खोज नहीं हुई थी, ये तब की रॉक पेंटिंग है। भोपाल के भीमबैठका के हजार वर्ष पुराने शैल चित्रों और बिजावर के जटाशंकर मार्ग के रॉक पेंटिंग से यह काफी पुराना है।

नागरिक उपभोक्ता मंच ने लगाई है NGT और हाईकोर्ट में याचिका

नागरिक उपभोक्ता मंच की ओर से डॉ. पीजी नाजपांडे द्वारा मामले में NGT और हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगाई गई है। इस याचिका में दावा किया गया था कि बक्सवाहा जंगल में पाई गई रॉक पेंटिंग 25 हजार साल पुरानी है। उसे देश की सांस्कृतिक विरासत बताते हुए संरक्षित और सुरक्षित रखने की मांग की थी। इसी के बाद आर्कियोलॉजी से बक्सवाहा का सर्वे कर स्टेटस रिपोर्ट सौंपने के आदेश जारी हुए थे। इस जंगल में 15 गांव आदिवासियों के हैं, जो जंगल पर निर्भर हैं। 

बक्सवाहा जंगल में 364 हेक्टेयर में होनी है हीरे की खुदाई

बक्सवाहा जंगल में हीरे का भंडार मिला है। राज्य सरकार ने इसका ठेका भी दे दिया है। इस क्षेत्र में लगभग 364 हेक्टेयर भूमि में प्रस्तावित डायमंड माइनिंग की खुदाई होनी है। इसके लिए 2.15 लाख पेड़ काटे जाने हैं। इसका स्थानीय स्तर पर विरोध हो रहा है। इस खुदाई से रॉक पेंटिंग के अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है। याची की ओर से पूर्व में पुरातत्व विभाग के साथ-साथ आर्कियोलॉजिकल विभाग को सूचना दी गई थी। दोनों विभागों की ओर से कार्रवाई नहीं होने पर प्रकरण को NGT और हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। (सोर्स: प्रतिष्ठित पत्रकार श्री संतोष सिंह की एक रिपोर्ट पर आधारित)

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