MP NEWS- शिक्षक भर्ती में अतिथि शिक्षकों के साथ अन्याय के खिलाफ ज्ञापन सौंपे

भोपाल
। दिनांक 28  जून 2021 को शिक्षक भर्ती प्रक्रिया 2018 में अतिथि शिक्षकों की उपेक्षा और अवैधानिक नियमों से सरकार एवं अधिकारियों को अवगत कराने के उद्देश्य से अपनी मांगों को लेकर प्रदेश भर के अतिथि शिक्षकों ने माननीय मुख्यमंत्री महोदय के नाम प्रदेश व्यापी ज्ञापन कार्यक्रम आयोजित किया। जिसके अंतर्गत प्रत्येक जिले में माननीय कलेक्टर महोदय को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा गया। ज्ञापन उपरांत अतिथि शिक्षक संघ के जिला स्तरीय पदाधिकारियों द्वारा बताया गया कि-

शिक्षक भर्ती 2018 की सम्पूर्ण भर्ती प्रक्रिया में अतिथि शिक्षकों के लिए अपनाए गए नियम कपटपूर्ण एवं असंवैधानिक हैं। मध्यप्रदेश सरकार विगत 14 बर्षो से स्कूल शिक्षा विभाग के अंतर्गत संचालित सभी विद्यालयों में रिक्त शिक्षक के पदों के विरुध्द अतिथि शिक्षकों से सेवाएं ले रही है। उन्हें इस शिक्षक भर्ती में 25% रिक्तियों के आरक्षण के नाम पर प्रवर्गवार आरक्षण के भीतर 25% रिक्तियो के विभाजिन  का दोषपूर्ण नियम बनाकर छला गया है।

रिक्तियों के विभाजन के कारण अतिथि शिक्षक यह समझे कि पहले 75% पदों  पर अतिथि शिक्षक को सामान्य अभ्यार्थी मानकर मेरिट के क्रम से चयनित किया जाएगा। तदुपरांत 25% रिक्तियों पर अतिथि शिक्षकों के लिए नियुक्ति की प्रक्रिया अपनाई जाएगी। किन्तु वास्तव में अतिथि शिक्षकों को केवल 25% पदों की गारंटी देकर अतिथि शिक्षकों को उनके सतत कार्य से अर्जित नैसर्गिक आगमनात्मक योग्यता के अंकीय मान का दमन करने का षडयंत्र किया गया है।

अतिथि शिक्षकों को दिया गया यह आरक्षण संविधान में समानता के स्तर पर उठाने के लिए की गई आरक्षण व्यवस्था का दुरुपयोग है और योग्यता का सही मूल्यांकन करने के स्थान पर व्यावसायिक आधार पर दिया गया यह आरक्षण संविधान की धारा 14/1 का उल्लघन है। आरक्षण की अवधारणा संविधान के अनुच्छेद 15,16 एवं उसके उपबंधो से अवतरित है, जिसमें आदेश किया गया है कि समाज के वंचित वर्ग और व्यक्ति के वंचित समूह को न्याय पूर्वक मुख्यधारा में स्थापित करने के लिए के लिए आरक्षण उपायों पर सरकार विचार कर सकती है। किन्तु अतिथि शिक्षक वर्ग जिसका उक्त आधार पर कोई सम्बन्ध नहीं है तथा व्यावसायिक आधार पर संविधान आरक्षण की अनुमति प्रदान नहीं करता है, के लिए क्षैतिज आधार पर और आरक्षण की मर्यादा के बाहर जाकर अतिथि शिक्षकों को उसके वर्षों से किये जा रहे शैक्षणिक कार्य के परिणाम स्वरूप अर्जित आगमनात्मक योग्यता को वरीयता मापदण्डो में सम्मिलित नहीं करने का षड्यंत्र करते हुए छल-कपट पूर्वक रिक्तियों को आरक्षित करने का नियम बनाकर अतिथि शिक्षकों के साथ धोखा किया है।

सरकार ने आरक्षण के संबंध में संविधान की शक्तियों का दुरुपयोग किया है। ऐसा विश्व के इतिहास में पहली बार घटित हुआ है जब कोई व्यक्तिगत समूह उसी कार्य को करते हुए उसी कार्य में पिछड जाये और फिर उसे मुख्य धारा में शामिल करने के आरक्षण दिया जाए, जोकि असंवैधानिक तथा निरर्थक हो। जबकि आज तक के  किए गए समस्त अनुसंधानो में विज्ञान यह सिद्ध करता है कि मानव हो या कोई भी प्राणी वह जिस प्रयास को निरंतर करता है उसमें वह       उत्तरोतर कुशल होता जाता है। अर्थात वह आगमन विधि (Inductiv method) द्वारा अपने कार्य में दक्ष होता रहता है। इस प्रकार वह लोग जो अतिथि शिक्षक के रूप में नियुक्त किए गए हैं तथा नियुक्ति पाने के लिए प्रतिवर्ष सरकार के निर्दिष्ट मापदण्डों मे खरा उतर कर नियुक्ति को वर्ष दर वर्ष अर्जित करके सालों से अतिथि शिक्षक के रूप में सेवाएं देते हुए बेहतर परिणाम दे रहे हैं। सरकार द्वारा उन्हें उसी कार्य में पिछड़ा मान लेना अतार्किक और अवैज्ञानिक है। अतिथि शिक्षक समस्त योग्यता धारित करते हुए विगत कई वर्षो से उसी विभाग में अध्यापन का अनुभव रखते हैं। अतः उन्हे निश्चित प्रतिनिधित्व नहीं बोनस अंक (भारांक) के रूप मे वरीयता मिलनी चाहिए।

माननीय न्यायालय के आदेशानुसार पूर्व में शिक्षाकर्मी भर्ती एवं संविदा शिक्षक भर्ती में अनुभव के आधार पर बोनस अंक दिये जा चुके हैं। उच्चशिक्षा विभाग में अतिथि विद्वानों को सहायक प्रध्यापक भर्ती 2017 में अनुभव के आधार पर बोनस अंक प्रदान किए गए हैं।

उक्त के सम्बन्ध अतिथि शिक्षकों द्वारा इस ज्ञापन के माध्यम से निम्न तथ्यात्मक बिंदुओं पर माननीय मुख्यमंत्री महोदय का ध्यान आकृष्ट किया गया है -
1- अतिथि शिक्षकों को दिया गया 25% आरक्षण अतिथि शिक्षकों की योग्यता का निर्धारण नहीं है।

2- अतिथि शिक्षक को दिया गया 25% आरक्षण अतिथि शिक्षक को परिभाषित करता है न कि उसके सतत् रूप से किये गये शैक्षणिक कार्य से अर्जित आगमनात्मक योग्यता का मापक है।

3- दिया गया 25% आरक्षण अतिथि शिक्षक वर्ग को परीक्षा उत्तीर्ण विहित योग्यताधारी अतिथि शिक्षकों को 25% की प्रतिभूति है जबकि भर्ती प्रक्रिया में अतिथि शिक्षकों को उनके आगमनात्मक योग्यता के अकींयमान का निर्धारण और समावेशन नहीं किया गया है।

4- 25% आरक्षण का विषय अतिथि शिक्षकों को प्रदान किये जाने योग्य अनुभव के अंक से प्रथक है और दोनों का एक-दूसरे से कोई संबंध नहीं है ।

5- जिस प्रकार महिला भूतपूर्व सैनिक दिव्यांग अपने आरक्षण का लाभ लेकर अनुभव के अंक के लिए पात्र होते हैं उसी प्रकार की व्यवस्था के दायरे में अतिथि शिक्षक समाहित है।

6- अतिथि शिक्षक के मेधा स्तर के निर्धारण में उसकी आगमनात्मक योग्यता को सम्मिलित नहीं किया गया है जो कि किया जाना वैधानिक है यथा समस्त न्यायालयीन निर्णयों में मान्य अपरिहार्य सिद्धांत है।

7.  निश्चित ही अतिथि शिक्षकों की समस्या संवेदनशील है तथा मानवीय पक्ष से सबल है तथापि वैधानिक परिसीमा के अधीन है, यह निश्चित ही विचार किये जाने योग्य है क्योंकि अतिथि शिक्षकों का जीवन सरकार द्वारा प्रायोजित सत्कार्य में संलग्न होने के कारण बलिदान की अवस्था को सम्प्राप्त हो चुका है।

अतः निवेदन पू्र्वक प्रार्थना है कि अतिथि शिक्षक वर्ग अकारण ही वरीयता सूची में सम्मिलित होने से वंचित हैं इसलिए अतिथि शिक्षक के मेधा स्तर के निर्धारण में अनुभव के अंक सम्मिलित करते हुए वरीयता सूची संशोधित करने की कृपा करें एवं 1, 2  एवं 3 कि.मी. की योजनानुसार वर्तमान में संचालित विद्यालयीन व्यवस्था में उत्पन्न शिक्षकों की मांग के अनुसार अन्य अतिथि शिक्षकों को 62 वर्ष तक 12 महीने का सेवाकाल प्रदान करें।

ज्ञापन कार्यक्रम में अरुण गिरी गोस्वामी, प्रदीपकुमार रैकवार, आशीष, विजय, संदीप आदि उपस्थित रहे।

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