शिकायत वापस लेने पर क्या जांच बंद करना अनिवार्य है, पढ़िए सुप्रीम कोर्ट का आदेश - Supreme Court news

Bhopal Samachar

Is it mandatory to stop the investigation process if the complaint is withdrawn

भोपाल समाचार डॉट कॉम। अक्सर ऐसा होता है कि कई गंभीर मामलों में शिकायतकर्ता जांच प्रक्रिया के बीच में ही अपनी शिकायत वापस ले लेता है और जांच बंद हो जाती है। सवाल यह है कि क्या इस तरह से जांच बंद कर देना उचित है। क्या शिकायत वापस लेने का अर्थ यह होता है कि अपराध नहीं हुआ। सबसे बड़ा सवाल है कि क्या शिकायत वापस लेने पर जांच बंद कर देना अनिवार्य है। सुप्रीम कोर्ट ने इस संदर्भ में एक महत्वपूर्ण फैसला दिया है। 

विवाद का विवरण जो सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा 

मध्यप्रदेश में एक महिला न्यायिक अधिकारी ने जिला जज पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। यह आरोप उस समय लगाया गया था जबकि जिला जज का प्रमोशन होकर उन्हें हाई कोर्ट में न्यायाधीश के पद पर पदस्थ किया जाने वाला था। वर्तमान में जिला जज रिटायर हो चुके हैं। शिकायत सामने आने पर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने मामले की जांच प्रक्रिया शुरू कर दी थी। इधर महिला अधिकारी ने अपनी शिकायत वापस ले ली। जिला जज ने इसी आधार पर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की और निवेदन किया कि शिकायतकर्ता ने अपनी शिकायत वापस ले लिए इसलिए उनके खिलाफ चल रही जांच को बंद करवा दिया जाए। 

भारत के सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष इस याचिका पर सुनवाई हुई। इस पीठ में न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यन भी थे। बेंच ने कहा कि उसके समक्ष जो मामला आया है वह यह है कि क्या उच्च न्यायालय के पास विभागीय जांच का आदेश देने का अधिकार है? कोर्ट ने सुझाव दिया कि पूर्व न्यायाधीश को उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ अपनी अपील वापस ले लेनी चाहिए और जांच का सामना करना चाहिए। पीठ ने कहा कि वह आगे मामले पर सुनवाई नहीं करना चाहती और उच्च न्यायालय के पास विभागीय जांच का आदेश देने की पूरा अधिकार है और पूर्व न्यायाधीश को इसका सामना करना चाहिए। 

पूर्व न्यायाधीश की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता आर बालासुब्रमण्यम ने कहा कि महिला अधिकारी ने यौन उत्पीड़न रोकथाम कानून के तहत अपनी शिकायत वापस ले ली इसलिए उच्च न्यायालय द्वारा अनुशासनात्मक कार्यवाही नहीं की जा सकती। शीर्ष अदालत ने कहा कि हो सकता है कि शिकायतकर्ता ने लोक लाज के कारण अपनी शिकायत वापस ले ली होगी लेकिन विभागीय कार्यवाही शुरू करने के लिए उच्च न्यायालय की राह में कोई अड़चन नहीं है। 

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