अतिथि शिक्षकों के लिए कमलनाथ और दिग्विजय सिंह को मैदान में आना चाहिए - Khula Khat

आदरणीय संपादक महोदय जी,सादर नमस्कार,
मप्र के अतिथिशिक्षकों की हालत बहुत दयनीय है न तो उनको कोरोना काल मे हुए लाकडाउन का मानदेय दिया गया है वही मप्र   प्राथमिक व माध्यमिक विद्यालय बंद होने से उनके सामने विकट आर्थिक संकट उत्पन्‍न हो गया है। 

वहीं दूसरी ओर उनकी ढाल और तलवार बनने का वक्तव्य देने वाले व पिछली कांग्रेस सरकार मे शामिल सरस्वती को सम्मान देने का दंभ भरने वाले श्रीमंत ज्योतिरादित्य सिंधिया जी भी सत्ता शीर्ष पर पुन: काबिज होकर उनको भुला चुके है। वहीं
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी भी उनके भविष्य के प्रति गंभीर नहीं है जो विपक्ष मे रहते उनके नियमितिकरण के पक्षधर थे। 

ऐसे मे प्रदेश का अतिथिशिक्षक खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहा है। जिसने अपने जीवन के अमूल्य वर्ष अल्प मानदेय पर सेवा देकर सुनहरे भविष्य की आशा मे गँवा दिए है। अब अधेड़ उम्र मे उनके पास 12-13 वर्ष सेवा देने डीएड, बीएड होने पीईबी परीक्षा उत्तीर्ण होने के बाद भी नियमित होने की कोई आशा दिखाई नहीं दे रही है। ऐसे मे उन्हे पुन: ज्ञापन आंदोलन पर विवश होना पड़ेगा जो विगत कई वर्ष से वे करते आ रहे है। 

प्रदेश मे जीतू पटवारी जी जरूर समय समय पर उनकी मॉंगो का समर्थन करते रहते है उनके सिवा प्रदेश के अन्य सभी पक्ष विपक्ष के नेता उनको भुला चुके है। अब समय यह है कि प्रदेश मे विपक्ष मे आसीन कांग्रेस पार्टी जो मजबूत विपक्ष की भूमिका मे है उसको अतिथिशिक्षकों के नियमितिकरण की जिम्मेदारी लेने वाले व वचन पत्र मे उनको स्थान देने वाले दिग्विजय सिंहजी एवं कमलनाथ जी को दृढ़ता से उनकी मॉंगो को सत्ता के बंद कानों तक पहुंचाना चाहिए। 

प्रदेश मे 50 से अधिक अतिथिशिक्षक काल के गाल मे समा चुके है ऐसे मे उनका दायित्व है कि वे प्रदेश के इस शोषित वर्ग की ओर सरकार को जगाये क्योंकि प्रदेश मे कई विधायक एवं सांसद अपना समर्थन पत्र इनको दे चुके है उसके बाद भी सरकार चुप्पी साधे है जो कि प्रजातंत्र मे जनहित एवं जनप्रतिनिधियों की अनदेखी है क्योकि ढाल और तलवार तो वैसे भी प्राणहीन होती है उसे न तो किसी का दर्द दिखाई देता है न ही किसी मौत।
सादर धन्यवाद
आशीष कुमार बिरथरिया
उदयपुरा जिला रायसेन मप्र

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