प्रति माननीय मुख्यमंत्री महोदय, आकृति समूह की कंपनी एजी-8 वेंचर्स लिमिटेड द्वारा 11 मील चौराहे से आगे रायसेन होशंगाबाद रोड पर लगभग 100 एकड़ परिसर में जून जुलाई 2010 में “आकृति एक्वासिटी” के नाम से ग्राम छान में 1870 से ज्यादा परिवारों के लिए 400-500 करोड़ रुपयों से ज्यादा का एक हाउसिंग प्रोजेक्ट लांच किया गया। इस हाउसिंग प्रोजेक्ट में पोवाई, मानसरोवर, पुष्कर के नाम से डुप्लेक्स भवन एवं नर्मदा, गोमती, क्षिप्रा व ताप्ती नाम से फ्लैट क्रय करने का ऑफर बिल्डर के द्वारा दिया गया। क्रेताओं को यह आश्वासन दिया गया कि इस आवासीय परिसर में हॉस्पिटल, प्राइमरी स्कूल, शापिंग सेण्टर, सामुदायिक भवन, बैंक ATM जैसी सुविधाये रहवासियों को उपलब्ध करवाई जावेगी।
आकृति एक्वासिटी के लगभग 90% क्रेताओं को 10 साल बाद भी मकान नहीं मिला
लगभग 1870 परिवारों ने 2010-11 में इस आवासीय प्रोजेक्ट में अपने आशियाने की बुकिंग करवाई। बिल्डर ने क्रेताओं से लिखित अग्रीमेंट किया, कुछ क्रेताओं से एक या दो साल बाद एग्रीमेंट किया जिसमे यह कहा के वह 03 वर्ष में भवन/फ्लैट का अधिपत्य दे देगा। कुछ क्रेताओं में 100% तो कुछ ने 90-95% और ज्यादातर में 70% भुगतान देने के बाद भी आज तक आवासीय प्रोजेक्ट में बिल्डर द्वारा 30-35% कार्य किया है और क्रेताओं से प्राप्त लगभग 350 करोड़ रुपयों की राशि में से 50-60% राशि को अन्य व्यवसायों में लगा दिया। आज दिनांक तक लगभग 90% क्रेताओं को उनका मकान नहीं मिला है।
AG-8 वेंचर्स लिमिटेड के ग्राहकों को किराया और लोन की किस्त दोनों चुकाना पड़ रहे हैं
समय समय पर क्रेताओं ने बिल्डर से व्यक्तिगत और सामूहिक बैठक आयोजित कर इस प्रोजेक्ट के पूरा होने की जानकारी मांगी तो हर बार बिल्डर ने कहा की वो अपनी शक्कर मिल बेचने का प्रयास कर रहे है। उससे मिलनी वाली राशि से इस प्रोजेक्ट को पूरा करेंगे। एक साल इस बहाने के माध्यम से समय व्यतीत कर दिया फिर कहा की दुबई से इन्वेस्टर ले कर आ रहे है वो ज़रूरी राशि देगा उससे ये प्रोजेक्ट पूरा करेंगे। परन्तु आज दिवस तक मकान क्रेता को मकान नहीं मिले और वे किराये के घरों में रहते हुए किराये और बैंक की किस्तों की दोहरी मर झेल रहे है।
AG-8 वेंचर्स लिमिटेड ने RERA के आदेश का भी पालन नहीं किया
केंद्र सरकार की पहल पर घर खरीदारों के हितों की रक्षा के लिए प्रदेश में भी भू-सम्पदा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण- Real Estate Regulation and Development Act (RERA) का गठन 01 मई 2017 को किया गया। बिल्डर से पीड़ित घर खरीदारों के RERA में की प्रार्थना की और संस्था ने एजी-8 वेंचर्स लिमिटेड के लगभग 300 से ज्यादा घर खरीदारों के पक्ष में अपना फैसला सुनाया। रेरा ने एजी-8 वेंचर्स लिमिटेड को घर खरीदारों के आवासों को पूर्ण करने और एक मुश्त विलंबित अवधि का हर्जाना देने का आदेश दिया किन्तु बिल्डर द्वारा एक भी मामले में रेरा की अदालत के आदेश का पालन नहीं किया और घर खरीदारों को कोई भी राहत नहीं मिली।
मिसरोद थाना पुलिस ने एप्लीकेशन लेकर रख ली, FIR दर्ज नहीं की
जब एजी-8 वेंचर्स लिमिटेड यानि आकृति समूह ने रेरा अदालत के निर्णयों का पालन नहीं किया तो नियमनुसार कई घर खरीदारों ने रेरा में धारा 40 के अंतर्गत रेरा निर्णयों को पालन करवाने हेतु रेवेन्यू रिकवरी सर्टिफिकेट जारी करवाये जिनका क्रियान्वन जिला कलेक्टर को जारी किये जा चुके है। कुछ घर खरीदारों में राष्ट्रीय उपभोगता फोरम (NCDRC) नई दिल्ली में भी अपनी गुहार लगा रखी है लेकिन कोई राहत नहीं मिली। इकनोमिक ओफ्फेंस विंग EOW में भी पत्र भेजा तो कहा गया की पुलिस में FIR करवाए लेकिन कई बार प्रयास करने के बाद भी थाना मिसरोद में पुलिस अधिकारियों ने एप्लीकेशन ले कर आज तक अभी FIR नहीं लिखी।
रसूखदार बिल्डर येन केन प्रकारेन अपने एवं संबंधों का इस्तेमाल कर इस प्रकरण को दबा देता है। सभी घर खरीदारों में घोर हताशा है लगभग 10 वर्षों की अवधि पूर्ण हो जाने के बाद भी उनके हाथ खाली है, कई स्वर्गवासी हो चुके है। जिन 5-10% क्रेताओं को मकान मिला कई खामियों के साथ जैसे की इस आवासीय परिसर में बिजली का कोई सब स्टेशन या ट्रांसफार्मर नहीं है और बिल्डर लगभग 80 मकानों में टेम्परेरी बिजली के मीटर से सब मीटर लगा कर विधुत प्रदाय कर रहा है, पानी के लिए नगर निगम से जल प्रदाय की कोई व्यवस्था नहीं होने के कारण बोरिंग से जल प्रदाय कर रहा है।
भोपाल कलेक्टर ने 2 महीने से फैसला सुरक्षित रखा हुआ है, आदेश नहीं कर रहे
सिवेज ट्रीटमेंट प्लांट भी नहीं होने से 80 परिवारों से निकला मल-मूत्र और निस्तार का पानी सीधे छान गाँव से बहती नदी में मिल रहा है। इस परिसर में बाउंड्री वाल भी नहीं है, सड़क पूरी नहीं बनी और कई रिटायर्ड लोग जिन्होंने अपने पूरे जीवन की कमाई लगा कर घर खरीदा है, वो एक अव्यवस्थित, आधे अधूरे आवासीय परिसर में सीमेंट कंक्रीट के जंगल में एकाकी जीवन जीने के लिए मजबूर है। इस सन्दर्भ में जिला कलेक्टर की अदालत में भी कुछ घर खरीदारों ने 2019 से गुहार लगायी हुई है और उन्होंने अपना आदेश सुरक्षित रख दिया है परन्तु 2 माह से आदेश नहीं कर रहे है।
भवदीय, आकृति एक्वासिटी गृहक्रेता संघ