स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी टाइप-1 कारण, लक्षण एवं इलाज - Spinal Muscular Atrophy type-1 Causes, Symptoms, and Treatment in hindi

स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी टाइप-1 एक दुर्लभ बीमारी है। जो बच्चे स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी टाइप-1 से पीड़ित होते हैं, उनकी मांसपेशियां कमजोर होती हैं, शरीर में पानी की कमी होने लगती है और स्तनपान करने में और सांस लेने में दिक्कत होती है। इस बीमारी बच्चा पूरी तरह से निष्क्रिय सा हो जाता है। 

Spinal Muscular Atrophy Type-1 बीमारी का इलाज क्या है 

मेडिकल साइंस द्वारा अब तक की गई रिसर्च के बाद इस बीमारी का सिर्फ एक ही इलाज है Zolgensma injection, जो स्विटजरलैंड की कम्पनी नोवार्टिस तैयार करती है। कम्पनी का दावा है कि यह इंजेक्शन एक तरह का जीन थैरेपी ट्रीटमेंट है। जिसे एक बार लगाया जाता है। इसे स्पाइनल मस्क्यूलर अट्रॉफी से जूझने वाले 2 साल से कम उम्र के बच्चों को लगाया जाता है।

Zolgensma injection की कीमत क्या है, महंगा क्यों है 

दिनांक 11 फरवरी 2021 की स्थिति में कंपनी से ₹16 करोड़ में बेचती है। अब दुनिया की जिस देश में है उस देश की सरकार इस पर निर्धारित आयात शुल्क और दूसरे टैक्स वसूल करती है। नोवार्टिस के सीईओ नरसिम्हन का कहना है, जीन थैरेपी मेडिकल जगत में एक बड़ी खोज है। जो लोगों के अंदर उम्मीद जगाती है कि एक डोज से पीढ़ियों तक पहुंचने वाली जानलेवा जेनेटिक बीमारी ठीक की जा सकती है। इंजेक्शन के तीसरे चरण के ट्रायल का रिव्यू करने के बाद इंस्टीट्यूट फॉर क्लीनिकल एंड इकोनॉमिक ने इसकी कीमत 9 से 15 करोड़ रुपए के बीच तय की थी। नोवार्टिस ने इसे मानते हुए इसकी कीमत 16 करोड़ रुपए रखी। (कुल मिलाकर दुर्लभ है और मूल्यवान है इसलिए महंगा है। कंपनी ने इसकी लागत नहीं बताई।)

कैसे काम करता है यह Zolgensma injection

स्पाइनल मस्क्यूलर अट्रॉफी जिस जीन की खराबी के कारण होती है, Zolgensma इंजेक्शन उसे नए जीन से रिप्लेस करता है। ऐसा होने के बाद शरीर में दोबारा यह बीमारी नहीं होती क्योंकि बच्चे के डीएनए में नया जीन शामिल हो जाता है।

कितना असरदार है Zolgensma injection

इसका असर देखने के लिए स्पाइनल मस्क्यूलर अट्रॉफी के 21 बच्चों पर क्लीनिकल ट्रायल किया गया। मार्च 2019 में इसके नतीजे आए। नतीजों के मुताबिक, 21 में से 10 बच्चे बिना किसी सपोर्ट बैठ पाए। वैज्ञानिकों के लिए यह नतीजे चौंकाने वाले थे क्योंकि ऐसा अब तक नहीं हो पाया जाता था। सरल शब्दों में कहें तो यह इंजेक्शन 50% बच्चों पर सफल रहा। कंपनी की ओर से यह भी नहीं बताया कि यदि किसी बच्चे पर इंजेक्शन का असर नहीं होगा तो क्या कंपनी ₹160000000 वापस करेगी।

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