GWALIOR नगर निगम: आउटसोर्स सफाईकर्मी की नौकरी के लिए 45000 की रिश्वत - MP NEWS

ग्वालियर
। नगर स्मार्ट हो या ना हो लेकिन नगर निगम रिश्वतखोर हो गया है। सिटी प्लानर प्रदीप वर्मा रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार हुए, कमिश्नर को मुख्यमंत्री ने हटाने के निर्देश दिए और दो अधिकारी रिश्वतखोरी के आरोप में सस्पेंड हुए इसके बाद एक नया खुलासा हुआ है। सफाई कर्मचारी की आउट सोर्स भर्ती के लिए नगर निगम में ₹45000 की रिश्वत ली गई। इस बार रिश्वतखोरी का आरोप अपर आयुक्त राजेश श्रीवास्तव पर लगा है।

ग्वालियर के अपर आयुक्त पर आरोप: रिश्वत लेकर फर्जी नियुक्ति पत्र थमा दिए

मालती व रचना नाम की महिलाओं ने शपथ पत्र के साथ एसपी के नाम आवेदन में आरोप लगाया है कि फरवरी 2020 में आउटसोर्स सफाई कर्मचारी के रूप में भर्ती के लिए नगर निगम कर्मचारी राकेश करोसिया और ओमप्रकाश बाथम के जरिए अपर आयुक्त राजेश श्रीवास्तव ने 45 और 25 हजार रुपये की रिश्वत ली और फर्जी नियुक्ति पत्र थमा दिया। जब लगातार कई माह तक वेतन नहीं दिया गया तब फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ। 

वेतन नहीं मिला तब पता चला नियुक्ति पत्र फर्जी है

मालती पत्नी संतोष: गुढ़ी गुढ़ा का नाका निवासी मालती पत्नी संतोष ने एसपी को दिए आवेदन में आरोप लगाया कि फरवरी महीने में वार्ड 18 में सफाई कर्मी की भर्ती के लिए 45 हजार स्र्पए राकेश करोसिया को दिए। राकेश करोसिया उन्हें नगरनिगम के स्थायी कर्मचारी ओमप्रकाश बाथम के पास ले गया। इसके बाद राकेश व ओमप्रकाश उसे नगरनिगम के अपर आयुक्त राजेश श्रीवास्तव के पास ले गए। भर्ती के लिए स्र्पए राजेश श्रीवास्तव को लिफाफे में रखकर दे दिए। इसके बाद आदेश भी निकला और वे काम भी करते रहे लेकिन उनका वेतन नहीं निकला। वेतन न मिलने पर जब वे नगरनिगम के स्वास्थ्य अधिकारी के पास गए तो उन्होंने बताया कि उनका नियुक्ति पत्र फर्जी है। इसलिए इन सभी के साथ कार्रवाई की जाए और स्र्पए वापस दिलाए जाएं। 

अपने हाथ से अपर आयुक्त को रिश्वत की रकम दी है

रचना पत्नी मनोज: गुढ़ागुढ़ी का नाका निवासी रचना पत्नी मनोज ने भी अपर आयुक्त राजेश श्रीवास्तव, ओमप्रकाश बाथम व राकेश करोसिया पर सफाई कर्मी की भर्ती के लिए 25 हजार स्र्पए लेने का आरोप लगाया है और आवेदन एसपी को दिया है। आवेदन में रचना ने बताया कि राकेश करोसिया ही उसे ओमप्रकाश बाथम के पास ले गया और ओमप्रकाश बाथम अपर आयुक्त राजेश श्रीवास्तव के पास। राजेश श्रीवास्तव को 25 हजार स्र्पए लिफाफे में रखकर दिए गए। इसके बाद 24 फरवरी को नियुक्ति आदेश मिल गया। इसके बाद काम भी शुरू कर दिया। लेकिन वेतन नहीं मिला। स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि उनका नियुक्ति पत्र फर्जी है। इसलिए तीनों ही दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए।

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