जमीन के नीचे दबा महाकाल मंदिर खुदाई में निकला, पुरातत्व की जांच शुरू, पढ़िए पूरा इतिहास - NATIONAL NEWS

The wall of the Sri Mahakaleshwar temple demolished by the Mughal invader Shamsuddin Iltutmish found

इंदौर। दुनिया भर के शिव भक्तों के लिए बड़ी खबर है। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक प्रमुख ज्योतिर्लिंग श्री महाकालेश्वर मंदिर के नजदीक खुदाई से प्राचीन मंदिर की दीवार मिली है। खुदाई रोक दी गई है। पुरातत्व विभाग की टीम ने जांच शुरू कर दी है। माना जा रहा है कि पूरा मंदिर निकल कर सामने आएगा। यह वही मंदिर है जिसे मुगल आक्रमणकारियों ने ध्वस्त कर दिया था।

मुगल आक्रमणकारी इल्तुतमिश ने ध्वस्त किया था प्राचीन महाकालेश्वर मंदिर

2 ज्योतिर्लिंगों में से एक उज्जैन के महाकाल मंदिर को शम्सुद्दीन इल्तुतमिश (1211 इस्वी से 1236 इस्वी तक) ने ध्वस्त कर दिया था। इसके बाद औरंगजेब ने यहां मस्जिद बनवा दी थी। कहानियों में बताया जाता है कि मुगल हमलावरों से शिवलिंग को बचाने के लिए मंदिर को जमीन में दबा दिया गया था और एक दूसरा मंदिर जमीन के ऊपर बना दिया गया था जिसे शम्सुद्दीन ने ध्वस्त कर दिया था।

जमीन के नीचे मिला श्री महाकालेश्वर मंदिर कितना पुराना है 

उज्जैन के भगवान महाकाल का शिवलिंग कितना पुराना है इसका अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि इसका उल्लेख शिव पुराण में मिलता है। मंदिर का निर्माण द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण के पालनहार नंद जी की 8 पीढ़ी पूर्व किया गया था। इसका तात्पर्य यह हुआ कि भगवान श्री कृष्ण के अवतार से 9 पीढ़ी पहले मंदिर का निर्माण हुआ था। छठवीं शताब्दी के धर्म ग्रंथों में मंदिर का उल्लेख मिलता है। 

उज्जैन के श्री महाकाल मंदिर पर दो बार हमला हुआ था 

महाकालेश्वर मंदिर के प्राप्त संदर्भों के अनुसार ईसवी पूर्व छठी सदी में उज्जैन के राजा चंद्रप्रद्योत ने महाकाल परिसर की व्यवस्था के लिए अपने पुत्र कुमार संभव को नियुक्त किया था। दसवीं सदी के अंतिम दशकों में संपूर्ण मालवा पर परमार राजाओं का आधिपत्य हो गया। इस काल में रचित काव्य ग्रंथों में महाकाल मंदिर का सुंदर वर्णन आया है। 11वीं सदी के आठवें दशक में गजनी सेनापति द्वारा किए गए आघात के बाद 11वीं सदी के उत्तरार्ध व 12वीं सदी के पूर्वार्ध में उदयादित्य एवं नरवर्मा के शासनकाल में मंदिर का पुनर्निमाण हुआ। 1234-35 में सुल्तान इल्तुमिश ने पुन: आक्रमण कर महाकालेश्वर मंदिर को ध्वस्त कर दिया। 

500 साल तक जल समाधि में रहे महाराजाधिराज महाकाल

भारत के इतिहास के उस अंधेरे युग में दिल्ली के सुल्तान इल्तुतमिश ने उज्जैन पर आक्रमण के दौरान महाकाल मंदिर को ध्वस्त कर दिया था। अब तक बताया जाता था कि उस वक्त पुजारियों ने महाकाल ज्योतिर्लिंग को कुंड में छिपा दिया था। इसके बाद औरंगजेब ने मंदिर के भग्नावशेषों पर मस्जिद बनवा दी थी। प्रकार करीब 500 साल तक भगवान श्री महाकाल जल समाधि में रहे। 

श्री का महाकालेश्वर मंदिर का नवीन भवन किसने बनवाया था 

14वीं व 15वीं सदी के ग्रंथों में महाकाल का उल्लेख मिलता है। 18वीं सदी के चौथे दशक में मराठा राजाओं का मालवा पर आधिपत्य हो गया। पेशवा बाजीराव प्रथम ने उज्जैन का प्रशासन अपने विश्वस्त सरदार राणौजी शिंदे को सौंपा। राणौजी के दीवान थे सुखटंकर रामचंद्र बाबा शैणवी। इन्होंने ही 18वीं सदी के चौथे-पांचवें दशक में मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया। वर्तमान में जो महाकाल मंदिर स्थित है उसका निर्माण राणौजी शिंदे ने ही करवाया है। वर्तमान में महाकाल ज्योतिर्लिंग मंदिर के सबसे नीचे के भाग में प्रतिष्ठित है। मध्य के भाग में ओंकारेश्वर का शिवलिंग है तथा सबसे ऊपर वाले भाग पर साल में सिर्फ एक बार नागपंचमी पर खुलने वाला नागचंद्रेश्वर मंदिर है।

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