BHOPAL में सीजनल इन्फ्लूएन्जा का खतरा, बचाव के लिए गाइडलाइन जारी - MP NEWS

Bhopal Samachar
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भोपाल
। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, भोपाल ने मैदानी अमले को निर्देश दिये हैं कि मौसम में बदलाव के कारण स्वाईन फ्लू सीजनल इन्फ्लूएन्जा (एच-1 एन-1) की आशंका के दृष्टिगत अपने क्षेत्रों में सतर्क रहें एवं मरीजों की स्क्रीनिंग, निदान, उपचार एवं रोकथाम के  निर्देशों का कड़ाई से पालन करें।

सीजनल इन्फ्लूएन्जा की रोकथाम व उपचार के लिये भारत सरकार द्वारा दी गई गाइडलाइन का पालन और कार्यवाही करवाना सुनिश्चित करें। विशेषकर हाई रिस्क प्रकरणों जैसे कि बच्चों, गर्भवती महिलाओं, किसी भी घातक बीमारी से ग्रसित व्यक्ति के फ्लू होने पर अधिक सतर्क रहें तथा विशेष ध्यान दें और पूर्व में दिये गये निर्देशों के अनुसार उपचार आरंभ करें। जिन स्थानों में एआरआई के प्रकरण ज्यादा आ रहे हैं वहाँ सर्वे करें।

उन्होंने निर्देश दिए कि जिला, ब्लॉक तथा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र स्तर पर होने वाली मासिक एवं साप्ताहिक बैठकों में समस्त स्वास्थ्य कर्मियों को सीजनल इन्फ्लूएन्जा की रोकथाम एवं उपचार संबंधी जानकारी से अवगत कराया जाये। प्रतिदिन दो बार फीवर क्लीनिक में सर्दी-खांसी मरीजों की रिपोर्ट राज्य सर्विलेंस इकाई को भेजें।

क्लीनिक में रिकार्ड कीपिंग के लिये पैरामेडिकल स्टाफ की व्यवस्था की जाये जिनके द्वारा स्क्रीनिंग में संधारण किया जाये जिसके माध्यम से मरीजों का फॉलोअप किया जाना सुनिश्चित करें। मरीजों को सीजनल इन्फ्लूएन्जा की जानकारी के लिये पम्पलेट वितरित किये जायें। सीजनल इन्फ्लूएन्जा के लिये औषधियों एवं सामग्री की उपलब्धता सुनिश्चित करें।

मौसमी इन्फ्लूएंजा के लक्षण

इसमें अकसर थकान महसूस होती है और शरीर अस्वस्थ रहता है।
गले में कफ का जमाव रहता है, कुछ भी निगलने में दिक्कत आती है।
बेहद कमजोरी महसूस होने लगती है। थोड़ा चलने पर या कोई कार्य करने पर चक्कर आने लगते हैं।   
ठंड लगती है, साथ ही बुखार होता है। बुखार तेज या कम हो सकता है। बुखार 100 से 103 डिग्री तक हो सकता है। लेकिन जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, वैसे-वैसे बुखार 106 डिग्री तक पहुंच जाता है।
काफी  नजला हो जाता है। बेहद छींकें आती हैं। सांस लेने में परेशानी महसूस होने लगती है, साथ ही सांस फूलने लगती है। 
त्वचा नीली पड़ने लगती है।
मांसपेशियों में दर्द और सिरदर्द होने लगता है।

मौसमी इन्फ्लूएंजा का उपचार

ऊष्मा का प्रयोग इस बीमारी में हुई अकड़न और दर्द से राहत पहुंचाता है। इलेक्ट्रिक हीटिंग पैड उपयोग करें या फिर बोतल में गर्म पानी भरकर छाती, पीठ या जहां दर्द हो, वहां पर रखें।
बुखार होने से शरीर में निर्जलीकरण हो जाता है। इस कमी को पूरा करने और बीमारी से निजात पाने के लिए सामान्य से अधिक तरल पदार्थ लेने की जरूरत होती है। गर्म तरल पदार्थ जैसे कि चाय या गुनगुना नीबू पानी पीजिए। इससे शरीर में जल की पूर्ति के साथ-साथ गले को आराम मिलता है तथा साइनस साफ होने में आसानी होती है।
पानी में अजवाइन डालकर तब तक उबालें, जब तक पानी आधा न रह जाए। पानी का सेवन समय-समय पर करते रहें। सामान्य पानी का सेवन भी उबाल कर ही करें।
जड़ी-बूटियां(हर्ब्स) बीमारी में शरीर का तापमान कम करने में सहायक मानी जाती हैं। इन्हें काढ़े के रूप में लें।
इसमें ठंडा और बासी खाने से दूरी बना कर रखें। शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करें।
गर्म पानी से स्नान कीजिये, गर्म पानी की भाप से कफ ढीला होता है।
सबसे ज्यादा जरूरी है कि बीमार पड़ने पर अपनी स्वच्छता पर ध्यान दें, तभी जल्द ठीक हो पाएंगे, जैसे हाथ धोकर खाना खाएं। साथ ही उन्हें धोने के बाद सुखा लें। 
यदि आप रोज व्यायाम करते हैं तो इस तरह के व्यायाम करें, जिनसे आपका शरीर थकान महसूस न करे। 
अपने शरीर को जितना हो सके, आराम दें।
नाक बंद होने पर सिर के नीचे तकिया रखकर सोने से आराम मिलता है।
ऐसे में स्टीम लेना बेहद फायदेमंद साबित होता है, क्योंकि आपको जुकाम होने के कारण सांस लेने में तकलीफ होती है तो स्टीम से आपकी नाक भी खुलती है, साथ ही कफ नीचे उतरता है। 

मौसमी इन्फ्लूएंजा से बचाव के लिए क्या करें

इन्फ्लुएंजा का टीका अकसर डॉक्टर द्वारा दिया जाता है। ये फ्लू न होने की गारंटी तो नहीं देता, परन्तु अन्य प्रकार के वायरस से रक्षा करता है।
नित्य हाथ धोने की आदत डालिए, विशेष रूप से सार्वजनिक स्थान से वापस आने पर हाथ धोना, इंन्फ्लुएंजा से संक्रमित होने से बचने का बेहतरीन तरीका है। हमेशा अपने साथ जीवाणुरोधी वाइप्स रखिये, जिनका उपयोग ऐसी जगह पर किया जाता है, जहां साबुन और सिंक न हो।
अच्छा आहार, शरीर के आवश्यक पोषक तत्व तथा विटामिन की पूर्ति, शारीरिक व्यायाम इत्यादि इन्फ्लुएंजा से रक्षा में सहायक हैं। अगर फिर भी इसका हमला हो तो शरीर बीमारी से निबटने के लिए तैयार रहता है।
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