भोपाल। सरकार अतिथिविद्वानों के विषय पर गंभीर है। उच्च शिक्षा विभाग इस संबंध में नीति बनाने के काफी करीब है। आशा है जल्द ही अतिथि विद्वान नियमितीकरण के संबंध में निर्णय ले लिया जाएगा। यह जवाब सीएम शिवराज सिंह चौहान ने रीवा प्रवास के दौरान अतिथि विद्वानों के एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात के दौरान दिया।
उल्लेखनीय है कि सूबे के सरकारी कॉलेजों में अध्यापन कार्य कर रहे अतिथि विद्वान पिछले दो दशकों से अपने नियमितीकरण की माँग उठाते आये है। कई सरकारें बदली किन्तु नही बदला तो वो अतिथिविद्वानों की दशा और दिशा। प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे अतिथि विद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के मीडिया प्रभारी डॉ आशीष पांडेय ने कहा है कि अतिथि विद्वान अपना अस्तित्व बचाने संघर्ष कर रहे है। कई सरकारें आयी और चली गयी लेकिन अतिथिविद्वानों की समस्या जस की तस बनी हुई है।प्रतिनिधिमंडल में डॉ नीरज मिश्र,डॉ सलिल पांडेय तथा डॉ रामायण वर्मा तथा अन्य अतिथिविद्वान शामिल थे।
16 दिसंबर 2019 को शिवराज ने किया था नियमितीकरण का वादा
अतिथि विद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के प्रदेश प्रवक्ता डॉ मंसूर अली ने कहा है कि पिछले वर्ष 16 दिसंबर को अतिथिविद्वानों के ऐतिहासिक शाहजहानी पार्क के आंदोलन में शामिल होने आए तब के विपक्ष के नेता व वर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने तत्कालीन कमलनाथ को घेरते हुए कहा था कि राज्यस्तरीय मेरिट के आधार पर चयनित उच्च शिक्षित अतिथिविद्वानों से किया गया नियमितीकरण का वादा कांग्रेस सरकार को अवश्य पूरा करना चाहिए।
भाजपा की सरकार बनते ही अतिथिविद्वान नियमितीकरण का निर्णय जल्द लिया जाएगा।उल्लेखनीय है कि बाद में अतिथिविद्वानों के मुद्दे पर ही सड़क पर उतरने की धमकी देते हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस की सरकार को गिराने में महती भूमिका अदा की थी।भाजपा की सरकार तो बन गयी किन्तु अतिथिविद्वान अब भी बदहाल स्थिति में अपने अनिश्चित भविष्य के साथ कालेजों में कार्यरत है