मध्यप्रदेश में अदालत अनलॉक के आदेश जारी, मामलों के वरीयता क्रम निर्धारित - MP NEWS

जबलपुर
। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने अपने अधीन आने वाली सभी अदालतों को सामान्य रूप से संचालित करने के आदेश जारी कर दिए हैं। दिनांक 23 नवंबर 2020 से दिनांक 5 दिसंबर 2020 तक अदालतों को सामान्य रूप से संचालित किया जा सकता है। यदि किसी प्रकार की कोई अप्रिय स्थिति नहीं बनी तो किस आदेश को आगे बढ़ाया जाएगा। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय यादव के आदेश पर रजिस्ट्रार जनरल राजेंद्र कुमार वानी ने यह परिपत्र जारी किया है।

इन मामलों को वरीयता क्रम में सुना जाएगा

आदेश के तहत रिमांड, जमानत, सिविल व क्रिमनल अपील व रिवीजन, पांच साल पुराने क्रिमनल मामले, एक्सीडेंट क्लेम, सीआरपीसी की धारा-125 से 128 तक से संबंधित मामले हाई कोर्ट द्वारा निर्धारित समय-सीमा के मामले, त्वरित कार्रवाई योग्य मामले वरीयता क्रम में सुने जाएंगे।

कोरोना गाडलाइन का पालन अनिवार्य होगा

जिला अदालतों में भौतिक सुनवाई की प्रायोगिक व्यवस्था के बीच कोरोना गाडलाइन का पूर्णत: पालन अनिवार्य होगा। इसके तहत सभी को अदालत परिसर के भीतर शारीरिक दूरी, मास्क व सैनिटाइजर का इस्तेमाल करना होगा। जिला बार, जबलपुर के अध्यक्ष सुधीर नायक व सचिव राजेश तिवारी ने इस निर्णय की सराहना की है।

जबलपुर में आमरण अनशन की तैयारी थी

जिला बार जबलपुर, के पूर्व सचिव अधिवक्ता मनीष मिश्रा ने 17 नवंबर तक प्रदेश की जिला अदालतें न खोले जाने की सूरत में 18 नवंबर से आमरण अनशन पर बैठने का अल्टीमेटम दिया था। उन्होंने हाई कोर्ट भी खोले जाने पर बल दिया था। फिलहाल, जिला अदालतों में कामकाज शुरू किए जाने की सूचना मिलते ही वे काफी प्रसन्न् हुए। उन्होंने सकारात्मक तरीके से कहा कि आधी सही पर मांग पूरी तो हुई। इसी तरह शीघ्र ही हाई कोर्ट में भी प्रायोगिक भौतिक सुनवाई शुरू होने की उम्मीद बरकरार है।

स्टेट बार प्रतिनिधिमंडल से एसीजे ने जो वादा किया वो निभाया

हाई कोर्ट बार सचिव व स्टेट बार सदस्य मनीष तिवारी, जिला बार के पूर्व अध्यक्ष व स्टेट बार सदस्य आरके सिंह सैनी ने बताया कि दो दिन पूर्व स्टेट बार के नवनिर्वाचित सदस्यों का प्रतिनिधिमंडल कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश (एसीजे) संजय यादव से मिला था। उन्होंने भरोसा दिलाया था कि शीघ्र ही भौतिक सुनवाई शुरू किए जाने को लेकर महत्वपूर्ण निर्णय लिया जाएगा। स्टेट बार सदस्य वरिष्ठ अधिवक्ता मनीष दत्त, रामेश्वर नीखरा सहित अन्य ने इस निर्णय का स्वागत किया है।

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