घोटाला: राशन की दुकान पर उचित दरों में BPL राशन कार्ड भी बनाए जाते थे - BHOPAL NEWS

Bhopal Samachar
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भोपाल
। मध्यप्रदेश में नियमानुसार राशन कार्ड नगरिया निकाय कार्यालयों द्वारा बनाए जाते हैं परंतु राजधानी भोपाल में एक ऐसी राशन की दुकान पकड़ी गई है जहां गरीबों के राशन कार्ड उचित दरों (रिश्वत के बदले) बनाए जाते थे। गरीबों के नाम पर बनने वाले यह राशन कार्ड फर्जी नहीं है, 500 कोरे राशन कार्ड बरामद किए गए हैं जिन पर प्राधिकृत अधिकारियों के हस्ताक्षर एवं सील मौजूद हैं।

फेस्टिवल सीजन में पुलिस की जांच के दौरान पकड़ा गया घोटाला

रातीबड़ थाना पुलिस के टीआइ व प्रोबेशनरी आइपीएस ने सेल्समैन अजय के पास से कुछ राशनकार्ड और राशन दुकानों के रजिस्टर जब्‍त किए थे, जिन्‍हें वह स्कूटी पर लादकर ले जा रहा था। इसके आधार पर बजरिया थाना पुलिस ने चांदबड़ क्षेत्र स्थित राशन दुकान-258 के सेल्समैन रमेश गौतम के घर से सोमवार को खाद्य विभाग के अधिकारियों के हस्‍ताक्षरयुक्‍त 400 राशन कार्ड जब्त किए। ये राशनकार्ड कोरे थे और उन पर तीन अधिकारियों एक सहायक और दो कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी के हस्ताक्षर थे और सील-ठप्‍पा भी लगा था। हैरानी की बात यह है कि इस मामले में अब तक न तो खाद्य विभाग के कार्यालय से राशनकार्ड व रजिस्टर ले जाने वाले अजय व रमेश गौतम पर एफआईआर दर्ज की गई है और न ही खाद्य विभाग ने सेल्समैन पर कोई कार्रवाई करने के लिए प्रकरण बनाया है। 

कलेक्टर ने मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए थे

इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कलेक्टर ने मामले की मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए थे। शुक्रवार देर रात छापामार कार्रवाई के दौरान शासकीय राशन दुकान के एक सेल्समैन रमेश गौतम के घर से 500 राशन कार्ड बरामद हुए थे। इसमें अधिकांश बीपीएल राशन कार्ड में अधिकारियों के हस्‍ताक्षर थे और सील-ठप्‍पे भी लगे थे। सभी राशन कार्ड कोरे थे और इनमें किसी का नाम दर्ज नहीं था। 

एडीएम दिलीप यादव ने घोटाले की जांच की

मामले की जांच एडीएम दिलीप यादव को सौंपी गई। एडीएम ने इस जांच से जुड़े सभी दस्तावेज मंगवाकर जब्त कर लिए। खाद्य विभाग ने एक प्रतिवेदन बनाकर कलेक्टर को सौंप दिया है। इधर, इस मामले से जुड़े सभी दस्तावेज जब्त किए जाने के बाद अब कार्रवाई की तैयारी की जा रही है।

3 अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध

इस मामले में एक सहायक आपूर्ति अधिकारी दिनेश अहिरवार और दो कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी मयंक और प्रताप सिंह की भूमिका संदिग्‍ध लग रही है। जांच के बाद इस फर्जीवाड़े में नए खुलासे होने की संभावना भी है।
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