कोरोना से लड़ते ये प्राकृतिक लड़ाके / EDITORIAL by Rakesh Dubey

बीते कल यानि शनिवार को देश में कोरोना संक्रमण के एक दिन में सर्वाधिक मामले आए, जिनकी संख्या 9887 रही, वहीं 294 लोगों की मौत हो गई इसके बाद देश में अब तक संक्रमण के कुल मामलों की संख्या 236657 हो गयी है तथा मरने वालों का आंकड़ा 6642 पर पहुंच गया है|अभी तक भारत क्या विश्व में कहीं भी इसकी कोई औषधिया टीका नहीं निकला है, सम्पूर्ण विश्व मानव शरीर की प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि और शरीर में उपलब्ध प्रतिरोधकशक्ति को बनाये रखना ही कोविड-19 से बचाव मान रही है भारत की घरेलू उपचार पद्धति और आयुर्वेद में अनेक ऐसी सहज सुलभ औषधि उपलब्ध हैं, जो सहज ही प्रतिरोधक क्षमता [इम्युनिटी] को बनाये रखती हैं और उसे बढाती भी है ये सभी कोरोना सहित अनेक रोगों से लड़ने वाले प्राकृतिक लडाके हैं

जैसे गिलोय एक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है जिसका इस्‍तेमाल कई वर्षों से अनेक बीमारियों के इलाज में किया जाता रहा है। वैसे तो गिलोय के कई लाभ हैं लेकिन इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे प्रतिरोधक क्षमता [इम्यूनिटी] बढ़ती है। अगर व्‍यक्‍ति की प्रतिरोधक शक्ति ही बढ़ जाए तो उसे अपने आप ही कई बीमारियों से सुरक्षा कवच प्राप्‍त हो जाता है। इसी श्रेणी में आंवला, काली मिर्च,तुलसी, दालचीनी,हल्दी,लहसुन,गुडूची,सोंठ या अदरक, जैसी सर्व सुलभ प्राकृतिक जड़ी-बूटी उपलब्ध है। विश्व के हिस्सों में देश, काल, प्रकृति के अनुरूप इनसे काढ़ा चटनी चूर्ण और अवलेह तैयार होते हैं। इनको प्रयोग के लिए तैयार करने में किसी विशेष योग्यता की आवश्यकता भी नही है।

आगे का समय कठिन दिख रहा है विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के एक प्रमुख विशेषज्ञ मिशेल रियान ने कहा है कि भारत में कोरोना वायरस महामारी को लेकर स्थिति अभी 'विस्फोटक' नहीं है, लेकिन बढ़ते समय के साथ इस तरह का जोखिम बना हुआ है| मिशेल रियान डब्ल्यूएचओ के स्वास्थ्य आपात स्थिति कार्यक्रम के कार्यकारी निदेशक है उनके अनुसार भारत में कोरोना वायरस के मामलों की संख्या दोगुने होने का समय इस स्तर पर करीब तीन सप्ताह है

रियान ने जिनेवा में कहा, कि इस महामारी की दिशा कई गुना बढ़ने वाली नहीं है लेकिन यह अब भी बढ़ रही है." रियान ने कहा कि भारत के विभिन्न हिस्सों में महामारी का असर अलग-अलग है और शहरी तथा ग्रामीण क्षेत्रों के बीच इसमें अंतराल है उन्होंने कहा, "दक्षिण एशिया में, न केवल भारत में बल्कि बांग्लादेश और पाकिस्तान में, घनी आबादी वाले दूसरे देशों में महामारी का रूप विस्फोटक नहीं हुआ है। लेकिन ऐसा होने का खतरा हमेशा बना हुआ है

भारत में लॉक डाउन के दौरान सरकार, समाज और व्यक्तियों द्वरा उपरिवर्णित घरेलू औषधियों का न केवल प्रचार ही हुआ, बल्कि कुछ चिकित्सा महाविद्यालयों में इन पर प्रयोग भी हए जो कारगर साबित हुए। यह सही है जब महामारी पनपती है और समुदायों के बीच पैठ बना लेती है तो यह किसी भी समय अपना प्रकोप दिखा सकती है जैसा कई स्थानों पर देखने में आ रहा है देश में लॉकडाउन जैसे कदमों ने संक्रमण को फैलने की रफ्तार कम रखी थी,लेकिन देश में गतिविधियां शुरु होने के साथ मामले बढ़ने का खतरा बना हुआ है प्रकृति ने आपको उपहार में जो लडाके दिए हैं, यह उनके भरपूर दोहन का समय है

विश्व स्वास्थ्य सन्गठन का भी मानना है "भारत में उठाए गए कदमों का निश्चित रूप से संक्रमण फैलने की रफ्तार कम करने की दिशा में असर हुआ लेकिन अन्य बड़े देशों की तरह भारत में भी गतिविधियां शुरू होने, लोगों की आवाजाही फिर से आरंभ होने के बाद महामारी के प्रकोप दिखाने का जोखिम हमेशा बना हुआ है

विश्व स्वास्थ्य सन्गठन की मुख्य वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन ने कहा कि 130 करोड़ से अधिक की आबादी वाले देश में कोरोना वायरस के दो लाख से अधिक मामले 'ज्यादा लगते हैं, लेकिन इतने बड़े देश के लिए यह संख्या अब भी बहुत अधिक नहीं है" उन्होंने कहा कि भारत एक विशाल देश है जहां बहुत घनी आबादी वाले शहर हैं, वहीं कुछ ग्रामीण इलाकों में कम सघन बसावट है और इसके अतिरिक्त विभिन्न राज्यों में स्वास्थ्य प्रणालियों में भी विविधता है सौम्या स्वामीनाथन की बात सही है, विविधता से भरे देश में ऐसे कई प्राकृतिक लडाके मौजूद हैं हम उन्हें सिर्फ पहचाने ही नहीं, बल्कि इनके प्रयोग की विधि की साझा करने का है, अपनी जानकारी को साझा करें, इसी को मानवता कहते हैं और आप मानव हैं
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श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
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