चोइथराम ने शव देने से पहले जेवर और मोबाइल जब्त किए, कीड़े पड़ने तक बिल बनाते रहे: कनौजिया परिवार / INDORE

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इंदौर। कोरोना मरीजों के इलाज में निजी अस्पतालों द्वारा बरती जा रही लापरवाही की कड़ी में दूसरे दिन महू के कनौजिया परिवार ने रेड कैटेगरी के चोइथराम अस्पताल पर आरोप लगाया। यहां महू के कारोबारी शशि कनौजिया और उनके पिता खूबचंद का इलाज चल रहा था। दोनों की ही कोरोना से मौत हो गई। 

कनाडा में रहने वाले कनौजिया परिवार की कशिश ने आरोप लगाया कि दादा के शरीर में कीड़े पड़ चुके थे, यानी मौत के काफी समय बाद शव दिया गया। कशिश ने बताया कि उनके दादा की मौत पहले ही चुकी थी, लेकिन अस्पताल में उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया। फिर अचानक 7 मई को उन्हें इसके बारे में जानकारी दी गई। 

कशिश, शशि के छोटे भाई नरेश की बेटी हैं जो खुद करोना संक्रमित थे और शशि की मौत के एक दिन पहले ही अस्पताल से डिस्चार्ज हुए थे। कशिश के मुताबिक उनके पिता को पहले सुयश अस्पताल में रखा गया था। भर्ती रहने के दौरान उनके आसपास चार मरीजों की मौत हुई थी, जिनके शव वहीं मौजूद थे। इसके बाद सभी स्वजन को चोइथराम अस्पताल में भर्ती किया गया।

दूसरी और शुक्रवार को शशि  कनौजिया के पुत्र अक्षत ने सोशल मीडिया के माध्यम से गंभीर आरोप लगाते हुए कहा उनके पिता की मौत के पीछे अस्पताल जिम्मेदार है। उन्होंने पिता को दिए गए इलाज और अस्पताल के वीडियो फुटेज की मांग की है। अक्षत ने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री से इस बारे में मदद करने की गुहार भी लगाई है। 

कनौजिया परिवार के अधिकांश सदस्य अस्पतालों में भर्ती हैं या उन्हें क्वारंटाइन करके रखा गया है। परिवार वालों ने आरोप लगाया कि शशि की मौत के बाद उनके शव को अस्पताल ने देने से मना कर दिया था। अस्पताल प्रबंधन चाहता था कि पहले उसका बिल जमा किया जाए जो करीब 1.70 लाख रुपये था। 

लॉकडाउन के चलते परिवार के सदस्य पूरा बिल नहीं भर सके। इससे पहले ही अस्पताल को करीब एक लाख रुपये दिए जा चुके थे। बकाया रुपये वसूलने के लिए अस्पताल द्वारा शशि का मोबाइल फोन, उनके जेवर और पर्स जब्त कर लिया गया। 

इस तरह के आरोप गलत हैं। मरीज का पूरा इलाज किया गया। पर्स, जेवर रखवाने की जो बात स्वजन कर रहे हैं, वह पूरी तरह से गलत है।-डॉ. अमित भट्ट, डिप्टी डायरेक्टर, चोइथराम अस्पताल
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