भारत देश एक धर्म-निरपेक्ष देश हैं। ये बात हम पिछले लेख में भी आपको बता चुके है। आज के लेख में हम भारतीय आपकी दण्ड संहिता की धारा 296, का मुख्य उद्देश्य है क्या है ये बताएगे? सामान्य तौर पर तो हम कहें इस धारा का उद्देश्य धार्मिक आराधना या धार्मिक कार्यक्रम के लिए एकत्रित हुए लोगों को विरोधियों से संरक्षण दिलाना है। आगे जानिए धारा 296 क्या कहती है:-
भारतीय दण्ड संहिता, 860 की धारा 296 की परिभाषा
जो कोई व्यक्ति जानबूझकर किसी भी धर्म की धार्मिक भीड़, धार्मिक जुलूस, धार्मिक आराधना (उपासना) ,धार्मिक रैली (यात्रा),धार्मिक कार्यक्रमों (सभा) आदि, जो वैध तरीके से चल रहे है। उनमें रूकावट डालेगा वह व्यक्ति धारा 296 के अंतर्गत दोषी होगा परन्तु याद रहे कि जो उपर्युक्त धार्मिक कार्य किसी भी जन-समुदाय या जनता (जन नागरिक) को क्षति न पहुचाए एवं शांतिपूर्ण एवं वैध तरीके से किया जा रहे हो।
आईपीसी की धारा 296 के तहत दण्ड का प्रावधान:-
धारा 296,का अपराध किसी भी तरह से समझौता योग्य नहीं होते हैं लेकिन यह अपराध जमानतीय एवं संज्ञये अपराध होते हैं। इस धारा के अपराध की सुनवाई किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा की जा सकती है। सजा:- एक वर्ष की कारावास या जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जा सकता है।
उधारानुसार:- किसी धार्मिक स्थान पर विशेष धर्म के लोगों की धार्मिक सभा का आयोजन हो रहा था। किसी अन्य धर्म का व्यक्ति उस सभा में आकर जानबूझकर बाधा (विघ्न) उत्पन्न करता है। वह व्यक्ति जो रुकावट डाल रहा है। इस धारा के अंतर्गत अपराधी होगा। क्योंकि विशेष धर्म के लोगों उनके धार्मिक स्थल पर शांतिपूर्ण तरीके से सभा कर रहे थे।
बी. आर. अहिरवार होशंगाबाद (पत्रकार एवं लॉ छात्र) 9827737665