ग्वालियर साईं बाबा मंदिर की 29 वर्ष पुरानी परंपरा टूटी / GWALIOR NEWS

ग्वालियर। कोरोना महामारी के कारण साईं बाबा मंदिर की वर्षों पुरानी परंपरा भी टूट गई है। मंदिर में एक माह से अधिक समय से बाबा को अर्पित किया जा रहा प्रसाद भक्तों तक नहीं पहुंच रहा है। बाबा को चढ़ाया गया प्रसाद मंदिर में निवासरत तीन पुजारी ही ग्रहण कर रहे हैं। साथ ही मंदिर में भगवान का प्रसाद भी पुजारी ही तैयार कर रहे हैं।  

शहरमें 1978 में साईं बाबा मंदिर की स्थापना हुई थी। सन् 1991 से मंदिर में बाबा को भोग लगाने की शुरुआत की गई। जिसमें लोगों के भोग की बुुकिंग कर भोग लगाया जाता था। धीरे-धीरे बाबा को भोग लगाने की प्रचलन बड़ता चला गया। वर्तमान में बाबा को भोग लगाने वालों की लिस्ट 2021 तक जा पहुंची हैं। अगर आप साईं बाबा को भोग लगावाना चाहते हैं तो आपको 2022 फरवरी के बाद की डेट मिलेगी। वर्तमान में 2022 फरवरी तक की बुकिंग है।

साईं बाबा मंदिर का नियम है कि यहां पर भक्तों द्वारा प्रसाद अर्पित किया जाता है। इसलिए भक्त प्रसाद के लिए पहले ही 301 रुपये की पर्ची कटा लेता है। इसके बाद भक्त को प्रसादी की तारीख का समय बता दिया जाता है। साथ ही भक्त का नाम भी मंदिर की डायरी में नोट कर लिया जाता है। जिस दिन भक्त का नाम आता है उसके पैसों से बाबा की प्रसादी तैयार की जाती है। इसके बाद बाबा को प्रसादी अर्पित करने के बाद एक टिफिन में प्रसादी पैक कर भक्त को दे दी जाती है। इस प्रसादी को भक्त अपने घर पर परिवार के साथ ग्रहण करता है। लेकिन लॉकडाउन के कारण यह सिस्टम अभी बंद है। क्योंकि मंदिर के पट भक्तों के लिए बंद कर दिए गए हैं। ऐसे में प्रसाद तो भक्त के नाम से बन रहा है और भोग भी भक्त के नाम से ही बाबा को अर्पित किया जा रहा है। लेकिन यह प्रसाद भक्त के पास नहीं पहुंच रहा है बल्कि इसे मंदिर के अंदर निवासरत पुजारी ही ग्रहण कर रहे हैं।

बाबा को दो समय प्रसादी अर्पित की जाती है। इस प्रसादी को मंदिर की रसोई में कार्यरत कर्मचारियों द्वारा तैयार किया जाता है। लेकिन लॉकडाउन के कारण मंदिर के समस्त स्टाफ को छुट्टी दे दी गई है। ऐसे में मंदिर में सिर्फ तीन पुजारी ही हैं जो कि मंदिर के अंदर ही निवास करते हैं। यही पुजारी बाबा के लिए प्रसादी तैयार करते हैं और अभी फिलहाल प्रसादी को ग्रहण भी पुजारी ही कर रहे हैं। बाबा को प्रसादी अर्पित करने के लिए बाबा के भक्तों की लंबी कतार है। 22 मार्च से 17 मई तक लॉकडाउन है, इन 43 दिनों में 86 भक्तों के नाम से बाबा को भोग लगाया गया। लेकिन किसी भी भक्त को बाबा के भोग का प्रसाद नहीं मिल पाया है। ऐसे में अब मंदिर के पदाधिकारी विचार कर रहे हैं कि किस प्रकार लॉकडाउन के बाद वह बाबा के भक्तों को प्रसादी पहुंचाएं।


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