मुख्यमंत्री जी, प्रमोशन में आरक्षण की कोई गुंजाइश नहीं, 2016 वाला आदेश लागू करें: सपाक्स / EMPLOYEE NEWS

भोपाल। सपाक्स यानी सामान्य,पिछड़ा व अल्पसंख्यक अधिकारी कर्मचारी संस्था ने एक बार फिर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से आग्रह किया है कि मध्यप्रदेश में 4 सालों से रुके हुए प्रमोशन का प्रक्रिया तत्काल शुरू करवाएं। सपाक्स ने कहा कि पिछले 4 सालों में सुप्रीम कोर्ट के तमाम फैसले यह निष्कर्ष निकालने के लिए पर्याप्त है कि मध्य प्रदेश में प्रमोशन में आरक्षण की अब कोई गुंजाइश नहीं रही। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट द्वारा 2016 में जो आदेश दिया गया था कृपया उसे लागू करें। 

सामान्य,पिछड़ा व अल्पसंख्यक अधिकारी कर्मचारी संस्था (सपाक्स) विगत 04 वर्षो से प्रदेश में पदोन्नति में आरक्षण की असंवैधानिक व्यवस्था के विरूद्ध संघर्षरत है। 04 वर्ष पूर्व आपकी सरकार के समय प्रारंभ हुआ यह संघर्ष आज भी सतत् जारी है। इस बीच माननीय उच्च न्यायालय के निर्णय को लागू न कर आपकी तथा पश्चात्वर्ती कांग्रेस सरकार ने पदोन्नतियों को लगातार बाधित रखा है, फलस्वरूप हजारों शासकीय कर्मी बिना पदोन्नति का लाभ पाए सेवानिवृत्त हो गए। 

उक्त परिस्थिति में न सिर्फ शासकीय तंत्र पूरी तरह चरमराया है, बल्कि कोविड-19 महामारी जैसी विपरीत स्थितियों में अब शासन सक्षम व योग्य कर्मचारियों की कमी से जूझ रहा है। स्थिति इतनी विकराल है कि एक कर्मचारी संगठन के कर्मी को सार्वजनिक रूप से कहना पड़ा कि स्वास्थ्य व्यवस्था व शासकीय तंत्र प्रभार से चल रहा है। 

महोदय, आप पुनः अब सरकार के मुखिया हैं। संस्था पुनः आपके समक्ष निम्न मांगे रखकर निवेदन करती है कि म.प्र. शासन त्वरित न्यायपूर्ण कार्यवाही करते हुए प्रदेश के शासकीय कर्मियों को राहत् प्रदान करें:- 

1. माननीय सर्वोच्च न्यायालय की मा मुख्य न्यायधीश दीपक मिश्रा सहित 05 जजों की संविधान पीठ (निर्णय दिनांक 26.09.2018) से अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग में क्रीमीलेयर लागू करने का निर्णय दे चुकी है। पश्चात् माननीय सर्वोच्च न्यायालय की मा न्यायधीश अरुण मिश्रा सहित 05 जजों की संविधान पीठ (निर्णय दिनांक 21.04.2020) आन्ध्रा एवं तेलंगना सरकार के प्रकरण में प्रतिनिधित्व 50 प्रतिशत की सीमा में रखने एवं अनुसूचित जाति/जनजाति वर्गों में से धनाढ्यों एवं ऐसे जो निरन्तर पीढ़ीयों से आरक्षण का लाभ ले रहे हैं, को आरक्षण के दायरे से बाहर करने हेतु कह चुकी है। 

प्रदेश में उपरोक्त स्थितियों के बावजूद पदोन्नति में आरक्षण दिया जाकर वरिष्ठ पदों पर अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग का प्रतिनिधित्व शत-प्रतिशत तक हो चुका है, जो पूरी तरह असंवैधानिक है। संस्था की मांग है कि माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर के निर्णय दि. 30.04.2016 अनुसार कार्यवाही करते हुए निर्धारित प्रतिनिधित्व से अधिक पदोन्नत कनिष्ठ शासकीय सेवकों को पदावनत किया जाए तथा वरिष्ठतानुसार सामान्य/पिछड़ा वर्ग के कर्मियों को पदोन्नत किया जाये। 

2. पूर्व कांग्रेस सरकार ने आई.ए.एस./आई.पी.एस. की तर्ज पर क्रमोन्नति व पदनाम दिए जाने के आदश पारित किए थे (साप्रवि पत्र क्रमांक 354/2176/2019/3/एफ, दिनांक 9.03.2020) तदनुरूप सभी विभागों में नियम बनाकर वरिष्ठता के अनुसार क्रमोन्नति व पदनाम दिए जाने की कार्यवाही तत्काल प्रारम्भ कराई जाये। 

3. उपरोक्त स्थितियों के कारण शासन को विभिन्न पदों पर अब शासकीय कर्मी ही नहीं मिल रहें हैं एवं इससे तंत्र की क्षमता प्रभावित हो रही है। हाल ही में सेवानिवृत्त होने वाले कर्मियों को संविदा आधार पर नियुक्ति के प्रावधान शासकीय कर्मियों के शोषण की कार्यवाही है। इसके पूर्व आपकी ही सरकार ने सेवानिवृत्ति आयु 60 से बढ़ाकर 62 वर्ष की थी। शासन या तो इसी तरह सेवा निवृति आयु वृद्वि करे अन्यथा पदोन्नति से पदों की पूर्ति कर नई  bharitiya तत्काल करें, ताकि बेरोजगार युवा रोजगार पा सकें। 

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