कर्मचारी और रिश्वतखोर कर्मचारी को धमकी में क्या अंतर है, IPC क्या कहती है | KNOW YOUR LAW

यदि कोई व्यक्ति किसी शासकीय कर्मचारी को उसका कर्तव्य निर्वाह करने से रोकने के लिए किसी भी प्रकार की धमकी देता है तो इस तरह की धमकी 'अपराध' मानी जाती है एवं संबंधित व्यक्ति के खिलाफ आईपीसी की धारा 189 के तहत मामला दर्ज किया जाता है लेकिन सवाल यह है कि यदि उस कर्मचारी ने किसी काम करने की एवज में रिश्वत ली हो और फिर वह काम नहीं किया, ऐसी स्थिति में यदि कोई धमकी देता है तो क्या तब भी IPC की धारा 189 के तहत मामला दर्ज किया जा सकता है। आइए जानते हैं कानून की किताब क्या कहती है:

भारतीय दण्ड संहिता,1860 कि धारा 189 क्या कहती हैं: लोक-सेवक को क्षति करने की धमकी

जो कोई लोक-सेवक को या किसी ऐसे व्यक्ति को जिससे उस लोक-सेवक के हितबद्ध होने का उसे विश्वास हो, इस प्रयोजन से क्षति की कोई धमकी देगा कि जिससे उस लोक-सेवक को उत्प्रेरित किया जाये कि वह ऐसे लोक-सेवक के कृत्यों के प्रयोग से संशक्त कोई कार्य करें या करने से प्रविरत रहे, या करने में विलम्ब करे, यह अपराध है।
सजा(दण्ड):- इस अपराध में 2 वर्ष तक की कारावास या जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जाएगा।।

इस धारा कि व्याख्या को हम इस प्रकार भी समझते सकते हैं: 

जो व्यक्ति किसी लोक-सेवक को इस आशय से कारित करने की धमकी देता हैं ताकि वह अपने सार्वजनिक कर्तव्य से सम्बंधित किसी कार्य को करे या करने से परावृत्त रहे या विलंब करें तो यह एक दण्डनीय अपराध होगा। यह धारा लागू होने के लिए लोक-सेवक या किसी अन्य व्यक्ति को जिसमें लोक सेवक के हितबद्ध होने का अभियुक्त को विश्वास हो, क्षति कि धमकी दी गई होना चाहिए।याद रखें धारा 189 केवल लोक सेवक(सरकारी कर्मचारियों एवं प्रशासनिक अधिकारियों) को क्षति कारित की जाने की धमकी के मामले में ही लागू होंगी।

कुछ महत्वपूर्ण उदहारण

डिक्रूज के मामले में मार्क्सवादी पार्टी के कुछ साम्यवादी कार्यकर्ता अपने साथियों की गिरफ्तारी के विरुद्ध विरोध प्रकट करने पुलिस स्टेशन पहुंचे तथा उन्होंने वहां कार्यरत पुलिस-कर्मियों को धमकी दी कि वे उनके साथियों को छोड़ दें अन्यथा उन्हें गभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे। इस केस में न्यायालय ने सभी अभियुक्तों को 189 के अंतर्गत दोषसिद्ध किया गया।

इसी प्रकार *यार मोहम्मद बनाम सम्राट* के वाद में दो पुलिस आरक्षकों ने रात के समय अपनी गश्त-डियूटी देतें हुए एक निगरानी शुदा अपराधी के घर के सामने खड़े होकर उसके नाम से पुकार कि ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि वह अपराधी घर पर है या नही। इस पर उस अपराधी का भाई जो कि बगल वाली झोपड़ी में ही रहता था, बाहर आया और उसने नींद में दखल देने के लिए पुलिस आरक्षक को लताड़ते हुए उन्हें मारने की धमकी दी। न्यायालय द्वारा अभियुक्त को भारतीय दण्ड संहिता कि धारा 189 के अधीन दोषी ठहराकर दण्डित किया गया।

रिश्वतखोर कर्मचारी को धमकी

यहां एक बात और ध्यान देने योग्य है कि ऐसे लोक-सेवक को दी गई धमकी जिसने रिश्वत लेकर कोई काम करने का आश्वासन दिया हो लेकिन वह काम न किया हो, इस धारा के अंतर्गत दण्डनीय नहीं होगा।
बी. आर. अहिरवार(पत्रकार एवं लॉ छात्र) मोब.9827737665

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