अतिथि विद्वानों ने कहा: हम यहीं सरकार के नियमितीकरण का इंतजार करेंगे | MP NEWS

भोपाल। भले ही प्रदेश में राजनैतिक सरगर्मियां अपने चरम पर हों। प्रदेश में कैबिनेट मंत्रियों के इस्तीफे हो चुके हो लेकिन अतिथि विद्वानों का कांग्रेस सरकार से वचनपत्र अनुसार नियमितीकरण के लिए आंदोलन एवं धरना अभी भी जारी है। 

अतिथिविद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के संयोजक डॉ देवराज सिंह के अनुसार हमने लगातार शांतिपूर्ण तरीके से सरकार के समक्ष अपने नियमितीकरण की मांग पूरी करवाने हेतु आंदोलन प्रारम्भ किया था, जो अब भी जारी है। यहां तक कि नियमितीकरण में की जा रही अनावश्यक देरी के कारण महिला अतिथिविद्वान साथियों में अपने केश तक त्याग दिए किन्तु कांग्रेस सरकार अपने रुख में कायम रही।

राजनैतिक गतिरोध से हमारा लेना देना नही,  हम नियमितीकरण की मांग पर कायम

अतिथिविद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के प्रदेश प्रवक्ता डॉ मंसूर अली का कहना है कि राजनैतिक असंतुलन एक अलग विषय है, जबकि अतिथिविद्वान नियमितीकरण कांग्रेस सरकार के वचनपत्र का एक प्रमुख बिंदु है। हमें किसी भी प्रकार की दलगत राजनीति से कोई लेना देना नही है। हम केवल सरकार से अपने भविष्य का संरक्षण एवं अतिथिविद्वानों के उज्जवल भविष्य को सुनिश्चित करने हेतु नियमितीकरण की मांग कर रहे हैं। कांग्रेस सरकार का यह कर्तव्य बनता है कि जो वादा उसने विधानसभा चुनावों के पूर्व किया था, उसे अविलंब पूर्ण करे। जिससे कांग्रेस सरकार की विश्वसनीयता जनता के सामने साबित हो सके।

राजनैतिक गतिरोध के बीच जारी है आंदोलन

अतिथिविद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के संयोजक डॉ सुरजीत भदौरिया के अनुसार प्रदेश में राजनीति गतिरोध के बावजूद अतिथिविद्वानों का आंदोलन जारी है। भले ही प्रदेश में शक्ति परीक्षण के हालात निर्मित हो रहे हैं, किन्तु हमारी मांग वही नियमितीकरण की है, जो हमने कांग्रेस सरकार के गठन के अगले दिन से मांग रखते आ रहे हैं। कांग्रेस सरकार भले ही संकट के दौर से गुज़र रही है लेकिन अभी भी वो इस स्थिति में है कि अपने वचनपत्र की विश्वसनीयता प्रदेश की जनता के सम्मुख साबित करके अपनी साख जनता के बीच बचा सकती है।

अतिथिविद्वानों का आंदोलन सैकड़ा लगाने के करीब

अतिथिविद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के मीडिया प्रभारी डॉ आशीष पांडेय के अनुसार अतिथिविद्वान राजधानी भोपाल के शाहजाहानी पार्क में लगातार आंदोलन करते हुए लगभग 97 दिन पूरे कर चुके हैं। हमने जब आंदोलन प्रारम्भ किया था तब शीट ऋतु का मौसम था। खुले आसमान तले कड़ाके की ठंड के बीच ठिठुरते हुए हमने रातें काटी है। इस बीच लगभग तीन माह से अधिक का समय बीत चुका है और अब ग्रीष्म ऋतु आने वाली है। किन्तु हमारी स्थिति जस की तस बनी हुई है। अभी भी कांग्रेस सरकार के पास एक मौका है कि वो नियमितीकरण के वादे को जल्द पूरा करके जनता के बीच अपनी गिरती साख को बचा करके कुछ डैमेज कंट्रोल कर सकती है।

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