अपोलो अस्पताल ने बुखार से पीड़ित महिला को कोरोना बताकर भगा दिया, मौत | GWALIOR NEWS

ग्वालियर। ग्वालियर में कार्यरत रेल कर्मचारी की बुखार से पीड़ित पत्नी को अपोलो अस्पताल के डॉक्टरों ने कोरोना वायरस का संदिग्ध मरीज बता कर इलाज करने से मना कर दिया। इससे पहले सुविधा, सुरक्षा और बिरला अस्पताल ने भर्ती करने से मना कर दिया था। अंततः सरकारी जयारोग्य चिकित्सालय गए लेकिन यहां भी लाज नहीं मिला और इलाज के अभाव में महिला की मौत हो गई।

झांसी के डॉक्टरों ने ग्वालियर रेफर किया था

गमगीन पुत्र नरेन्द्र श्रीवास ने बताया कि उनकी माता सरला श्रीवास उम्र 54 वर्ष पति ओमप्रकाश श्रीवास निवासी दीनदयाल नगर खाकीवासा झांसी में रहते हैं। उनकी माता को दो दिन पूर्व बुखार आया तो वे पहले झांसी के अस्पताल में ले गए। जहां डॉक्टरों ने उन्हें ग्वालियर रैफर कर दिया। नरेन्द्र के पिता ग्वालियर रेलवे स्टेशन पर इंजीनियरिंग विभाग में पदस्थ हैं।

4 प्राइवेट अस्पतालों में लेकर गए किसी ने इलाज नहीं किया

नरेन्द्र ने नम आँखों से बताया कि हम गत दिवस सुबह नौ बजे झांसी से ग्वालियर के लिए रवाना हुए। सबसे पहले हमने झांसी रोड पर सुविधा अस्पताल लेकर गए। यहां मना किया तो उसके बाद सुरक्षा अस्पताल लेकर गए। यहां से मना होने के बाद बिड़ला हॉस्पिटल और उसके बाद अपोलो अस्पताल लेकर गए। यहां आधा घंटा इंतजार करने के बाद एक डॉक्टर ने सरला श्रीवास की जांच की और उन्हें कोरोना वायरस का सस्पेक्ट बताया। परिजनों ने कहा कि आप भर्ती कर लें ,तो डॉक्टर ने कहा कि 50 हजार रुपए आप जमा करा दें, परिजन मान गए तो डॉक्टर ने अंदर जाकर सलाह ली और बाद में मना कर दिया।

जयारोग्य चिकित्सालय में भी इलाज नहीं किया गया

यहां से परेशान होकर फिर से मरीज को लेकर जयारोग्य अस्पताल ले गए। जयारोग्य अस्पताल में मरीज को समय पर इलाज नहीं मिला। यहा डॉक्टरों ने कहा कि वेंटीलेटर नहीं है आप को हाथ से ही मरीज को पंप करना पड़ेगा। हमने कहा कि झांसी के अस्पताल में डॉक्टर ने सरला को लंग्स में खराबी बताई थी। इसके बाद बीमार महिला की रात को मौत हो गई। मृतका के पुत्र नरेन्द्र ने बताया कि डॉक्टरों ने उनकी मौत का कारण भी नहीं बताया।

अब परिवार लेगा कोर्ट की शरण

नरेन्द्र ने रोते हुए कहा कि कोरोना वायास के लिए पूरे देश में सतर्कता बरती जा रही है। आईसोलशन वार्ड बनाए गए हैं,लेकिन यह सब दिखावे के लिए हैं। हकीकत में निजी अस्पताल और सरकारी अस्पतालों में कोई सुविधा नहीं हैं। इसके कारण मेरी माता का निधन हो गया। नरेन्द्र और उसके पिता ओमप्रकाश श्रीवास ने कहा कि अब हम सभी अस्पताल पर कार्रवाई के लिए कोर्ट की शरण लेंगे ताकि और कोई मरीज को इलाज के लिए भटकना न पड़े।
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