भोपाल। राजधानी भोपाल के शाहजहांनी पार्क में इन दिनों मातम की स्थिति है। एक ओर नियमितीकरण की आस में अतिथिविद्वान पिछले 86 दिनों से धरने व आंदोलन में बैठे हैं, वहीं मांगे न माने जाने से आक्रोशित महिला अतिथिविद्वानों ने अपने केशत्याग करके सरकार की शोषणकाफी अतिथिविद्वान व्यवस्था एवं नियमितीकरण न किये जाने का मातम मनाया।
हाल यह है कि अपनी ही चुनी सरकार एवं उसी सरकार द्वारा दिये गए वचन को पूरा करवाने के लिए प्रदेश के उच्च शिक्षित बेटे बेटियां बदहाल स्थिति में अपने नियमितीकरण हेतु पंडालों में संघर्षरत है। जबकि मूल समस्या नियमितीकरण पर चर्चा न करके सरकार चॉइस फिलिंग के माध्यम से तुष्टिकरण की राजनीति कर रही है। हम वचनपत्र अनुसार अतिथिविद्वानों के नियमितीकरण एवं शोषणकारी अतिथिविद्वान व्यवस्था की समाप्ति की मांग कर रहे हैं जबकि सरकार जबरन हमें फिर से उसी अतिथिविद्वान व्यवस्था की भट्टी में झोंकना चाहती है। यह कांग्रेस सरकार की दोमुंही नीति की पराकाष्ठा है।
उच्च शिक्षा विभाग द्वारा 1250 पदों हेतु पुनः प्रारम्भ की जा रही चॉइस फिलिंग प्रक्रिया का हम विरोध करते हैं। यह बातें अतिथिविद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के संयोजक डॉ देवराज सिंह ने मीडिया कर्मियों से चर्चा के दौरान कहीं है। विदित हो कि विगत 86 दिनों से अपने नियमितीकरण की मांग कर रहे सूबे के सरकारी कॉलेजों में अध्यापन कार्य करने वाले अतिथिविद्वान अब तक अपने दो साथियों की असमय मृत्यु से आक्रोशित है। हाल ही में महिला अतिथिविद्वानों ने अपना मुंडन करवाकर सरकार का विरोध जताया था।
चॉइस फिलिंग अर्थात बीमारी कुछ और इलाज कुछ और
अतिथिविद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के संयोजक डॉ सुरजीत भदौरिया के अनुसार 86 दिन तक लगातार संघर्ष एवं 2 महिला अतिथि विद्वान साथियों के केशत्याग तथा दिवंगत अतिथिविद्वान स्व. संजय कुमार की शहादत का बदला सरकार हमें चॉइस फिलिंग के लॉलीपॉप के माध्यम से देना चाहती है। जबकि हम लगातार कह रहे हैं कि चॉइस फिलिंग अतिथिविद्वानों की समस्या का समाधान नही है। दरअसल मूल समस्या की जड़ यही अतिथिविद्वान व्यवस्था है। कांग्रेस पार्टी ने विधानसभा चुनावों के पूर्व इसी शोषणकारी अतिथिविद्वान व्यवस्था के खात्मे एवं अतिथिविद्वानों के नियमितीकरण का वादा किया था। जिसे पूरा करने में अब सरकार अनावश्यक विलंब कर रही है, तथा जिस हेतु अतिथिविद्वान विगत ढाई महीनों से आंदोलनरत है।