इंदौर। भगवान श्री राम जब अयोध्या लौटे तो उस दिन का उत्सव आज भी दीपावली के नाम से मनाया जाता है। कुछ इसी प्रकार का जश्न इंदौर में भी मनाया जाता है। यहां भगवान तो नहीं लौटे थे लेकिन 304 साल पहले ऐसा कुछ हुआ था जिसमें देश को इंदौर जैसा शहर दिया। भारत के टियर 2 शहरों में शामिल इंदौर में 5000 से ज्यादा प्रतिष्ठित उद्योग हैं। सिर्फ मध्य प्रदेश ही नहीं बल्कि भारत के विकास में इंदौर की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता। उज्जैन से ओम्कारेश्वर के बीच जमीन के एक टुकड़े को इंदौर का नाम देने की शुरुआत आज से 304 साल पहले 3 मार्च 1716 में हुई थी।
भारत का पहला टैक्स फ्री शहर था इंदौर
क्या आप जानते हैं इंदौर भारत का पहला टैक्स फ्री शहर था। इंदौर में कारोबारियों पर कोई टैक्स नहीं लगता था। बात 1716 की है जब इंदौर के शासक राव राजाराव नंदलाल मंडलोई ने इस अनोखे आइडिया पर काम करना शुरू किया। 3 मार्च 2017 को मुगल दरबार से सनद प्राप्त हुई जिसके तहत इंदौर को टैक्स फ्री कर दिया गया। इसके बाद जयपुर के राजा सवाई राजा जयसिंह और पुणे के राजा बाजीराव पेशवा ने भी इंदौर को कर मुक्त सनद को मान्यता दे दी। इसीलिए 3 मार्च को इंदौर का स्थापना दिवस माना गया और 304 साल बाद भी इसका जश्न मनाया जाता है।
सन 1700 से पहले तक इंदौर कंपेल की एक कचहरी हुआ करता था
जमींदार परिवार के राव राजा श्रीकांत मंडलोई के मुताबिक इंदौर पहले कंपेल से भी छोटा हुआ करता था। वर्ष 1700 से पहले कंपेल में नंदराव मंडलोई शासक थे। उस समय कंपेल के अंतर्गत आठ कचहरियां व 80 गांव थे। इसमें से एक कचहरी इंदौर में वर्तमान में जूनी इंदौर स्थित बड़ा रावला में थी। 1698 में बड़ा रावला की कचहरी में घोड़ा चोरी होने का केस पहुंचा था। इसमें इंदौर से चोरी हुआ घोड़ा देवास में मिला था। उसे इंदौर के संबंधित व्यक्ति को वापस लौटाने का आदेश दिया था। इस प्रकरण में इंदौर का नाम उल्लेखित है।
सनद की तारीख प्रमाणित करने के लिए कई विश्वविद्यालयों के विशेषज्ञों ने अध्ययन किया
मुगलों की ओर से इंदौर में कर मुक्त व्यापार के लिए जो सनद राजाराव नंदलाल मंडलोई को दी गई थी, उस सनद में फारसी कैलेंडर की तारीख के रूप में 'रबी उल अव्वल' लिखा हुआ था। ऐसे में जमींदार परिवार ने उस शब्द का अनुवाद व प्रमाणीकरण लंदन की यूनिवर्सिटी ऑफ एक्सटर, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी व फारसी एक्सपर्ट से करवाया। इससे स्पष्ट हुआ कि यह तारीख अंग्रेजी कैलेंडर की 3 मार्च 1716 है। इसके बाद से जमीदार परिवार ने इंदौर में इस तारीख को शहर का स्थापना दिवस मनने की शुरुआत की।
इंदौर को टैक्स फ्री बनाने के लिए 13000 सैनिकों ने शहादत दी थी
इंदौर को मुगल दरबार से कर मुक्त व्यापार की सनद मिलने के बाद भी मुगल सूबेदार मोहम्मद शाह रंगीले इंदौर से चारबाड़ी चौथ वसूल कर रहा था। उस दौरान इंदौर में सूखा पड़ा था और उसके बाद भी यहां के लोगों से चौथ वसूले जाने के कारण शहरवासी त्राहि-त्राहि कर रहे थे। ऐसे में राव राजा नंदलाल के नेतृत्व में हजारों सैनिकों ने तिरला में मुगल सूबेदार मोहम्मद शाह रंगीले के साथ लड़ाई लड़ी और इंदौर के कर मुक्त व्यापार का दर्जा कायम रह सका। इस युद्ध में इंदौर के 13 हजार सैनिक शहीद हुए थे। इस लड़ाई में राव राजा नंदलाल को काफी चोट आई, जिससे एक माह बाद उनका निधन हो गया।
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