भोपाल। शाहजहानी पार्क में अतिथि शिक्षक जन सत्याग्रह के 77 वे दिन महिला अंतरराष्ट्रीय दिवस पर महिला अतिथि शिक्षकों ने सरकार की अर्थी निकालकर सरकार की वादा खिलाफी का विरोध किया।। सत्याग्रह का नेतृत्व अनीता हरचंदानी, प्रीति चौबे, पुष्पा सविता, किरण लता प्रजापति, रश्मि दुबे, ममता जैन, मौनी श्रीवास्तव, कीर्ति त्रिपाठी, बलवीर सिंह रघुवंशी, रविशंकर दहायत, रामनारायण मेहरा, सुनील पटेल ने किया।
प्रदेश अध्यक्ष सुनील सिंह परिहार ने बताया है कि कल संगठन के पदाधिकारियों की कर्मचारी आयोग के साथ बैठक होगी जिसमें अतिथि शिक्षकों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए नीति बनाकर प्रस्ताव शासन को भेजा जाएगा। संगठन के संस्थापक पी डी खेरवार और मीडिया प्रभारी रविकांत गुप्ता ने बताया है कि अतिथि शिक्षकों के हित में निर्णय नहीं होने तक अतिथि शिक्षकों का जन सत्याग्रह जारी रहेगा। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया जी के अलावा, दीपक बावरिया जी, मंत्री सज्जन सिंह वर्मा भी अतिथि शिक्षकों के पक्ष में व्यान दे चुके हैं।। पुलिस प्रशासन के माध्यम से सरकार ने अपील की है कि हम सरकार का विरोध ना करें सरकार बजट सत्र से पहले हमारे हित में निर्णय कर देगी
महिला अतिथि शिक्षकों ने सफेद वस्त्र पहन कर सती रूप धारण किया
महिला अतिथि शिक्षक मध्य प्रदेश सरकार की अर्थी की अर्थी निकालकर प्रतीकात्मक रूप से सती प्रथा का प्रदर्शन किया । अपनी नियमितीकरण की मांगों को लेकर मध्यप्रदेश अतिथि शिक्षक समन्वय समिति विगत 77 दिनों से भोपाल की शाहजनी पार्क में आंदोलन पर थे जिनका एकमात्र उद्देश्य अपनी नियमितीकरण को लेकर ही आंदोलन खत्म करना इसी तारतम्य में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष में हमारे साथ हमारे अतिथि शिक्षक संगठन की महिला अतिथि शिक्षक साथी भारतीय इतिहास में व्याप्त अमानवीय कुरीति सती प्रथा का प्रतीकात्मक रूप से अनुपालन करेंने के उद्देश्य यह है कि मध्य प्रदेश सरकार ने हमको इस प्रकार विवश कर दिया है कि एक तरफ तो वे हमारे पालनहारे और दूसरी तरफ उसका दोगला रवैया यह दिखाता है कि हम किस बुरी स्थिति में आ चुके हैं जैसा कि पुरातन समय में किसी हिंदू महिला का पति मर जाता था तो उस मृतक विधवा महिला को मजबूरी में सतीत्व ग्रहण करना पड़ता था पीछे कार उसके पीछे कारण यह था की समाज में उसका अब कोई ठोर ठिकाना नहीं है कोई उसका पालनहार नहीं है इसलिए समाज में उसका कोई वजूद नहीं है उस महिला के रहने का कोई औचित्य नहीं है अर्थात यह पिक सत्तात्मक सामंती सोच का एक गणित उदाहरण था इसी कुरीति को अतिथि शिक्षक अपने आप से जोड़ कर देख रहे हैं प्रदेश सरकार भी उनके हितों की अवहेलना कर रही है जिससे कि अतिथि शिक्षक प्रदेश सरकार को मरा हुआ मान रहे हैं और अतिथि शिक्षक महिला साथी सत्य चुका वर्णन करते हुए अपने प्राण त्याग रही हैं।
आज के आधुनिक दौर में एसी अमानवीय कुरीतियों का समाज में आ जाना चाहे प्रतीकात्मक रूप से ही क्यों ना हो एक बहुत बड़ी वेदना का प्रतीक है प्रदेश सरकार की शोषणकारी नीतियों ने मध्यप्रदेश के अतिथि शिक्षकों का जीना दूभर कर दिया है साथ ही अपने पूंजीवादी रवैया को प्रदेश की आम जनता पर थोपते हुए निजी करण को प्रोत्साहित कर रही है जिनमें की शासकीय स्कूलों का निजीकरण भी शामिल है ।
मध्यप्रदेश अतिथि शिक्षक समन्वय समिति प्रदेश सरकार से यह निरंतर मांग मांग करती रही है कि उनकी नियमितीकरण की मांग का जल्द से जल्द निराकरण किया जाए और समाज में सा सम्मान जीने के समान अवसर मोहिया कराएं जोकि एक राज्य का कर्तव्य है। सुनील सिंह परिहार